Sonbhadra News: छात्रा को प्रेम पत्र देने और विरोध करने पर मारपीट करने वाले शिक्षक समेत 10 दोषियों को चार-चार साल की सजा

सोनभद्र। विद्यालय में पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा को रास्ते में रोककर जबरन प्रेम पत्र देने और इसका विरोध करने पर घर में घुसकर मारपीट करने के मामले में अदालत ने शिक्षक समेत 10 दोषियों को चार-चार वर्ष के कठोर कारावास और 38,500 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने आदेश दिया है कि अर्थदंड जमा होने पर 35,000 रुपये घायल पीड़ितों को क्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाएंगे।

विंढमगंज थाना क्षेत्र की एक नाबालिग छात्रा स्थानीय कॉलेज में पढ़ती थी। वहीं के शिक्षक जावेद पुत्र बदरूद्दीन, निवासी बैरखड़ ने उसे रास्ते में रोककर जबरन प्रेम पत्र दिया। जब छात्रा ने इसकी शिकायत विद्यालय के प्रबंधक से की, तो इससे नाराज होकर शिक्षक और उसके परिवार के सदस्यों ने पीड़िता के घर में घुसकर मारपीट की। इस दौरान छेड़खानी के भी आरोप लगाए गए थे।

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मामले की जांच तत्कालीन क्षेत्राधिकारी दुद्धी सुनील कुमार विश्नोई द्वारा की गई। जांच में जावेद, सलाउद्दीन, कलामुद्दीन, फसीउद्दीन, मकसूद, सलमान, शहजाद, असजद, बदरूद्दीन और कलाम को आरोपी पाते हुए चार्जशीट न्यायालय में भेजी गई। अदालत ने इन सभी को धारा 147, 323 और 452 आईपीसी के तहत दोषी पाया।

जानें किस अपराध के लिए कितनी सजा मिली

मामले की अंतिम सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) अमित वीर सिंह की अदालत में मंगलवार को हुई। न्यायालय ने गवाहों के बयान और साक्ष्यों के आधार पर सभी 10 आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई:

  • धारा 147 (दंगा भड़काना) – 1 वर्ष कठोर कारावास, 1,000 रुपये अर्थदंड।
  • धारा 323 (मारपीट) – 6 माह कठोर कारावास, 500 रुपये अर्थदंड।
  • धारा 452 (घर में घुसकर हमला) – 4 वर्ष कठोर कारावास, 2,000 रुपये अर्थदंड।
  • अर्थदंड न भरने की स्थिति में 1 माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी।

घायलों को मिलेगा 30,000 रुपये मुआवजा

अदालत ने आरोपी जावेद अख्तर, सलाउद्दीन, कलामुद्दीन, फसीउद्दीन, मकसूद आलम, सलमान, शहजाद, असजद, बदरूद्दीन और कलाम को चार-चार साल की सजा सुनाई। साथ ही धारा 357 सीआरपीसी के तहत 35,000 रुपये का अर्थदंड लगाया, जिसमें से 30,000 रुपये मारपीट में घायल हुए पीड़ितों को क्षतिपूर्ति के रूप में दिए जाएंगे।

न्यायालय का सख्त संदेश

अदालत ने इस फैसले के जरिए स्पष्ट कर दिया कि छात्राओं से छेड़छाड़ और उनके परिवार पर हमला करने जैसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस कड़ी सजा से समाज में एक सख्त संदेश गया है कि महिलाओं और नाबालिगों के खिलाफ अपराध करने वालों को कड़ी सजा मिलेगी।

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