लक्ष्मण टीला मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका, कोर्ट ने खारिज की याचिका

लखनऊ के लक्ष्मण टीला मस्जिद विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से दायर की गई सिविल पुनरीक्षण याचिका को अपर जिला जज प्रथम नरेन्द्र कुमार तृतीय ने खारिज कर दिया है। इसके बाद उच्चाधिकारियों के निर्देश पर लक्ष्मण टीला (टीले वाली मस्जिद) की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। 

क्या है पूरा मामला

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लक्ष्मण टीला में पूजा-अर्चना करने की मांग को लेकर नृपेंद्र पांडेय एवं अन्य ने यूनियन आफ इंडिया, राज्य सरकार व टीले वाली मस्जिद के मुतवल्ली/इमाम के अलावा सात अन्य के विरुद्ध न्यायालय में वाद दाखिल किया था। नृपेंद्र पांडेय के मुताबिक मुगल शासक औरंगजेब ने लक्ष्मण मंदिर को तोड़कर उसके स्थान पर टीले वाली मस्जिद बनाई थी। लक्ष्मण मंदिर जब था तो वहां हिंदू धर्म के लोग पूजापाठ करते थे। 17 मई 2022 को ज्येष्ठ माह के पहले बड़े मंगल पर जब वादी अपने अन्य साथियों के साथ वहां पूजा-अर्चना करने गये तो मुतवल्ली ने ऐसा करने से मना किया। चौक पुलिस ने भी उनको ऐसा करने से रोक दिया था। इसके बाद नृपेंद्र पांडेय ने सिविल जज जूनियर डिवीजन पीयूष भारतीय के यहां वाद दाखिल कर दिया। 

मुस्लिम पक्ष ने दाखिल की थी आपत्ति

इस पर मुस्लिम पक्ष द्वारा लिखित आपत्ति दाखिल कर पोषणीयता के आधार पर वाद को खारिज करने की मांग की गई थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद छह सितंबर 2023 को सिविल जज ने मूलवाद दर्ज कर आगे की कार्यवाही करने का आदेश दिया था। प्रतिवादी पक्ष ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश के यहां सिविल पुनरीक्षण याचिका दाखिल की, जिसको सुनने के बाद न्यायालय ने उसे खारिज कर दिया। 

ऐसे कोर्ट में पहुंचा मामला

इतिहास के साक्ष्यों के आधार पर ऐसा दावा किया जाता है कि टीले वाली मस्जिद लक्ष्मण टीला है और टीले पर शेषनाग टीलेश्वर विराजमान हैं। 2013 में दीवानी अदालत में वाद मित्र (जो ईश्वर के नाम से केस लड़ता है, क्योंकि भगवान निरंकार स्वयं केस दायर नहीं कर सकते, इसलिए ये भगवान की ओर से केस लड़ते हैं।) अलीगंज के अधिवक्ता डा.वीके श्रीवास्तव ने वाद दायर किया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रतिवादी बनाया गया था। पैरवी कर रहे अधिवक्ता शिशिर चतुर्वेदी और संजय मिश्रा ने पूजन का अधिकार देने और टीले वाली मस्जिद का बोर्ड हटाने की अपील की है। उनका कहना है कि जब मामला विवादित है तो किसी का बोर्ड नहीं लगना चाहिए। 

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