उत्तर प्रदेश में सड़कों का गोल्डन नेटवर्क बनेगा विकास की रीढ़, 2029 तक वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य

लखनऊ: प्रदेश में सड़क अवसंरचना का बड़ा विस्तार हुआ है, जिसने प्रदेश के आर्थिक विकास को नई दिशा दी है। गांवों से महानगरों तक सहज लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी ने न सिर्फ जीवन आसान किया है, बल्कि प्रदेश को 2029 तक वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने के लक्ष्य को नई गति दी है।

उप्र. ने एक्सप्रेसवे, हाईवे और ग्रामीण सड़कों के जिस संयुक्त गोल्डन नेटवर्क को विकसित किया है, वह आने वाले वर्षों में प्रदेश को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। बदलते कनेक्टिविटी मानक बताते हैं कि यूपी अब सिर्फ बड़ा राज्य नहीं, बल्कि देश का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक हब बन चुका है। एक्सप्रेसवे, राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य मार्ग और ग्रामीण सड़कों का व्यापक नेटवर्क आज यूपी की पहचान बन चुका है। 2017 से पहले जहां प्रदेश में सिर्फ 3 एक्सप्रेसवे थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 22 हो चुकी है। इससे औद्योगिक क्षेत्रों, शहरों और गांवों के बीच आवागमन तेज हुआ है और लॉजिस्टिक लागत में कमी आई है। राष्ट्रीय राजमार्गों का दायरा भी बढ़ा है। 2004-05 में 5,599 किमी का नेटवर्क 2023-24 में बढ़कर 12,292 किमी हो गया है। ग्रामीण सड़कों का भी व्यापक विकास हुआ है। पीएमजीएसवाई के तहत 2017 के बाद तेज गति से विस्तार हुआ और कुल लंबाई बढ़कर 77,425 किमी हो गई। सरकार का लक्ष्य सड़क नेटवर्क को आधार बनाकर 2029 तक प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाना है।

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एक्सप्रेसवे ने बनाया रिकॉर्ड

• 2016–17: 3 एक्सप्रेसवे

• 2025–26: 22 एक्सप्रेसवे (निर्मित-निर्माणाधीन-प्रस्तावित)

पूर्वांचल, गंगा, बुंदेलखंड, दिल्ली-वाराणसी हाई-स्पीड कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्टों के साथ यूपी का एक्सप्रेसवे ग्रिड एशिया में सबसे बड़े नेटवर्क बनने की ओर है।

राष्ट्रीय राजमार्गों से आर्थिक रफ्तार

उप्र. में राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार अभूतपूर्व है। 2004-05 से 2023-24 के बीच एनएच नेटवर्क 5,599 किमी से बढ़कर 12,292 किमी हो गया, यानी दोगुने से भी ज्यादा। सबसे उल्लेखनीय तथ्य है कि भारत के कुल राष्ट्रीय राजमार्गों में यूपी की हिस्सेदारी 7.48% से बढ़कर 41% हो गई है। यह किसी भी राज्य के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सबसे तेज वृद्धि है और सीधे तौर पर यूपी की लॉजिस्टिक्स दक्षता को बढ़ाती है।

गांवों तक बदली तस्वीर

• 2013-14: 51,549.23 किमी

• 2016-17: 56,846.93 किमी (बहुत धीमी वृद्धि)

• 2017–2024-25: 77,425.14 किमी (रिकॉर्ड विस्तार)

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