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उत्तर प्रदेश में सड़कों का गोल्डन नेटवर्क बनेगा विकास की रीढ़, 2029 तक वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य
लखनऊ: प्रदेश में सड़क अवसंरचना का बड़ा विस्तार हुआ है, जिसने प्रदेश के आर्थिक विकास को नई दिशा दी है। गांवों से महानगरों तक सहज लॉजिस्टिक कनेक्टिविटी ने न सिर्फ जीवन आसान किया है, बल्कि प्रदेश को 2029 तक वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बनाने के लक्ष्य को नई गति दी है।
एक्सप्रेसवे ने बनाया रिकॉर्ड
• 2016–17: 3 एक्सप्रेसवे
• 2025–26: 22 एक्सप्रेसवे (निर्मित-निर्माणाधीन-प्रस्तावित)
पूर्वांचल, गंगा, बुंदेलखंड, दिल्ली-वाराणसी हाई-स्पीड कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्टों के साथ यूपी का एक्सप्रेसवे ग्रिड एशिया में सबसे बड़े नेटवर्क बनने की ओर है।
राष्ट्रीय राजमार्गों से आर्थिक रफ्तार
उप्र. में राष्ट्रीय राजमार्गों का विस्तार अभूतपूर्व है। 2004-05 से 2023-24 के बीच एनएच नेटवर्क 5,599 किमी से बढ़कर 12,292 किमी हो गया, यानी दोगुने से भी ज्यादा। सबसे उल्लेखनीय तथ्य है कि भारत के कुल राष्ट्रीय राजमार्गों में यूपी की हिस्सेदारी 7.48% से बढ़कर 41% हो गई है। यह किसी भी राज्य के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सबसे तेज वृद्धि है और सीधे तौर पर यूपी की लॉजिस्टिक्स दक्षता को बढ़ाती है।
गांवों तक बदली तस्वीर
• 2013-14: 51,549.23 किमी
• 2016-17: 56,846.93 किमी (बहुत धीमी वृद्धि)
• 2017–2024-25: 77,425.14 किमी (रिकॉर्ड विस्तार)
