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आतंकवाद विरोधी अभियान

जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां लगातार तेज हो रही हैं। डोडा में सोमवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में कैप्टन समेत सेना के कई जवान शहीद हो गए। पिछले तीन हफ्तों में डोडा जिले के जंगलों में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच यह तीसरी बड़ी मुठभेड़ थी। एक सप्ताह पहले कठुआ जिले के माचेडी जंगल में आतंकवादियों ने सेना के एक गश्ती दल पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें पांच सैनिक शहीद हो गए थे। डोडा में जो हुआ वह बेहद निंदनीय है। इस हमले में हमने बहादुर सैनिकों और अधिकारियों को खो दिया है। हमले की जिम्मेदारी कश्मीर टाइगर्स संगठन ने ली है।
अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा रद होने के बाद से, भारतीय सेना ने क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियानों को तेज कर दिया। भारतीय सेना विदेशी आतंकियों को खत्म करने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर संयुक्त अभियान चला रही है। कठुआ क्षेत्र में भी इसी तरह के ऑपरेशन लगातार किए जा रहे हैं। खास बात है कि आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच जिस डोडा जिले में मुठभेड़ हुई वह कश्मीर नहीं जम्मू रीजन का हिस्सा है।
अधिकारियों का कहना है कि अब आतंकी जम्मू में अपनी गतिविधियों को बढ़ाना चाहते हैं। आतंकवादी समूह विद्रोह जारी रखने के नए रास्ते खोज रहे हैं। गुरिल्ला युद्ध की नीति अपना रहे हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सुरक्षा बल इस क्षेत्र से आतंकवाद के संकट को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कुल मिलाकर जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रहे आतंकी हमले राज्य में बिगड़े हालात को दर्शा रहे हैं। खराब ढंग से चलाए गए सुरक्षा अभियानों ने भी स्थानीय आबादी और सरकार के बीच भरोसे को नुकसान पहुंचाया है।
इस बीच जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन ने बड़ा आरोप लगाया है। डीजीपी स्वैन ने कहा कि राज्य की क्षेत्रीय पार्टियों ने वोट की राजनीति के लिए आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। उन्होंने आतंकी संगठनों के फंडिंग पर भी सवाल उठाए। ऐसे में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली ताकतों से प्रमुखता से निपटना समय की जरूरत है।