Lucknow News: मदिरा उद्योग में बड़ा बदलाव, छोटी मछलियां बाहर, बड़े खिलाड़ी हावी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नई आबकारी नीति लागू होने के बाद शराब उद्योग में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस नीति को मंजूरी दी। अब 2025-26 के लिए मदिरा दुकानों का आवंटन पुराने नवीनीकरण (रिनुअल) प्रक्रिया के बजाय ई-लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा।

नई नीति के तहत, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की तर्ज पर यूपी में कंपोजिट मदिरा दुकानें शुरू की जाएंगी। इन दुकानों में एक ही छत के नीचे देशी शराब, विदेशी शराब और बीयर उपलब्ध होगी।

यह भी पढ़े - बंधन लाइफ ने लॉन्च किया आई-रिटायर; अब रिटायरमेंट के सपने होंगे सच

छोटे कारोबारियों के लिए मुश्किलें

विभागीय सूत्रों के अनुसार, नई नीति के चलते लिकर इंडस्ट्री में बड़े पूंजी निवेशक हावी होंगे। मध्यम और छोटे कारोबारी, जो 10-25 लाख रुपये की लागत से दुकानें चलाते थे, इस बड़े खेल का हिस्सा नहीं बन पाएंगे। लंबे समय से नवीनीकरण प्रक्रिया के जरिए दुकानें चला रहे छोटे कारोबारी सरकार से रिनुअल की अपील कर रहे थे ताकि कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई हो सके।

हालांकि, नई नीति में बड़े खिलाड़ियों के दबदबे के कारण ई-लॉटरी सिस्टम लागू किया गया। लेकिन प्रीमियम दुकानों, जो अक्सर मॉल्स और मल्टीप्लेक्स में स्थित हैं, को नवीनीकरण की सुविधा दी गई है।

बीयर की अलग दुकानें नहीं होंगी

नई व्यवस्था के तहत बीयर की अलग दुकानें अब नहीं दिखेंगी। बीयर की बिक्री अंग्रेजी और देशी शराब की दुकानों से ही होगी। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, कंपोजिट दुकान के संचालकों को आगामी तीन वर्षों तक रिनुअल का विकल्प दिया जाएगा, लेकिन नीति में किसी भी बदलाव का अधिकार सरकार के पास रहेगा।

राजस्व और स्टॉक का आकलन

नई नीति के तहत सभी जिलों में देशी, विदेशी और बीयर की दुकानों से मिलने वाले राजस्व, स्टॉक की उपलब्धता और डिमांड का आकलन किया जाएगा। इसके बाद कंपोजिट मॉडल की दुकानें शुरू की जाएंगी।

मदिरा शौकीनों की प्रतिक्रिया

नई व्यवस्था को लेकर मदिरा प्रेमियों के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया है। उनका कहना है कि अब हर वर्ग—चाहे वह लग्जरी कार चलाने वाला हो या ई-रिक्शा चालक—सभी एक ही काउंटर पर अपनी पसंद की शराब खरीद सकेंगे। इसे "सबको जोड़ने वाली मधुशाला" की संज्ञा दी जा रही है।

यह नई आबकारी नीति न केवल राजस्व बढ़ाने का लक्ष्य रखती है, बल्कि शराब उद्योग में बड़े खिलाड़ियों की भूमिका को और मजबूत करने की दिशा में भी काम करती है। दूसरी ओर, छोटे कारोबारियों के लिए यह नीति उनके अस्तित्व पर सवाल खड़े कर रही है।

खबरें और भी हैं

Latest News

Copyright (c) Parakh Khabar All Rights Reserved.