बे-मौसम की बरसात : जानिए क्या कहती है घाघ की कहावत, बढ़ी बलिया के किसानों की चिन्ता

बैरिया, बलिया : अगहन में दूना, पुष में सवाई, माघ में बरसी त घरहूं से जाई... घाघ की यह कहावत मंगलवार की सुबह हुई बे-मौसम की भारी बरसात से चरितार्थ होती दिखी।किसानों की माने तो गेहूं की फसल को छोड़कर बाकी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि अरहर, मसूर, सरसों, चना, टमाटर, बैगन, बींस आदि फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। वही, आलू खोदने का कार्य भी बरसात के कारण प्रभावित हो गया है।

किसानों का कहना है कि सरसों, मसूर, चना, टमाटर, हरा मिर्च, बींस, बैगन आदि फसलों पर फूल आया हुआ था, जो बरसात के कारण फसलों के फूल झड़ जाएंगे और उसमें फल नहीं लगेगा। केवल गेहूं के फसल को ही इस बारिश से लाभ पहुंचा है। दूसरी तरफ इस बे-मौसम की बरसात के कारण ईंट उद्योग को भारी नुकसान पहुंचा है। क्षेत्र में संचालित ईंट भट्ठों पर पाथे गए लाखों कच्चे ईट पानी से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। 

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सड़कों पर कीचड़ बनीं मुसीबत
हर घर नल जल योजना के तहत सड़कों के किनारे पाइप बिछाने के लिए पटरी खोदकर पाइप बिछाने के बाद ठीक से पाटे बिना मिट्टी को सड़क पर छोड़ देने से आवागमन कठिन हो गया है। मंगलवार को सड़कों पर कीचड़ पसर जाने से लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी हुई। कई दुपहिया चालक कीचड़ में फिसल कर सड़क पर गिरते हुए देखे गए। 

Edited By: Parakh Khabar

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