Operation Sindoor Live: 100 KM अंदर घुसकर लिया बदला, 54 साल बाद तीनों सेनाएं एकसाथ एक्शन में

नई दिल्ली: भारत ने बुधवार देर रात आतंक के अड्डों पर जोरदार प्रहार करते हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। खास बात यह रही कि 1971 के युद्ध के बाद यह पहला मौका था जब भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना ने मिलकर एक संयुक्त सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान गई थी।

100 KM अंदर घुसकर किया वार

भारतीय सेना ने इस कार्रवाई में पाकिस्तान और PoK के 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। इनमें बहावलपुर, मुरीदके और गुलपुर जैसे इलाके शामिल हैं। बहावलपुर, जो जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख गढ़ माना जाता है, अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीब 100 किलोमीटर अंदर स्थित है। वहीं, मुरीदके 30 और गुलपुर 35 किलोमीटर अंदर स्थित हैं।

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केवल आतंकी अड्डों पर हमला, सेना को नहीं छुआ

इस ऑपरेशन की खास बात यह रही कि हमले सिर्फ आतंकियों के ठिकानों पर किए गए। पाकिस्तानी सेना की किसी चौकी या ठिकाने को नुकसान नहीं पहुंचाया गया। सेना ने सटीक इंटेलिजेंस के आधार पर आतंकी अड्डों को टारगेट किया, जहां से भारत में हमलों की साजिश रची जा रही थी।

तरीन तकनीक और हथियारों का इस्तेमाल

ऑपरेशन में तीनों सेनाओं ने अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया। खास तौर पर 'कामिकाजे ड्रोन' यानी लॉइटरिंग एम्युनिशन का इस्तेमाल किया गया, जो लक्ष्य पर जाकर सीधा टकराते हैं और विस्फोट करते हैं। ये हमले इतनी तेजी और सटीकता से किए गए कि दुश्मन को संभलने का मौका तक नहीं मिला।

संतुलित लेकिन सशक्त जवाब

भारतीय सेना ने कहा कि यह जवाब संयमित, सटीक और गैर-उकसावे वाला था। कार्रवाई से पहले और बाद में पूरा ध्यान रखा गया कि किसी आम नागरिक या गैर-सैन्य ढांचे को नुकसान न पहुंचे।

प्रधानमंत्री मोदी और NSA डोभाल ने संभाली कमान

सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे ऑपरेशन के दौरान लगातार सेना और सुरक्षा एजेंसियों के संपर्क में रहकर हर पल की जानकारी ली। ऑपरेशन के पूरा होते ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमेरिकी NSA और विदेश मंत्री मार्को रुबियो को इसकी पूरी जानकारी दी।

यह ऑपरेशन सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति और रणनीतिक स्पष्टता का संकेत माना जा रहा है।

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