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भारत का विश्वास

इजराइल और हमास के बीच जारी युद्ध शीघ्र समाप्त होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। इजराइल ने हमास के खिलाफ तीन महीने पहले शुरू किए गए हमलों को बढ़ाने का फैसला किया है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक मिस्र की सीमा से लगे रफाह शहर और इसके आसपास करीब 15 लाख लोग आश्रयगृहों तथा तंबुओं के शिविरों में रह रहे हैं। यह संख्या गाजा की आबादी की करीब दो-तिहाई है।
भारत के साथ ही विभिन्न असफलताओं से उबर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यह खबर चिंताजनक है। ध्यान रहे युद्ध की शुरुआत में ही आशंका जताई गई थी कि यह संघर्ष मध्य पूर्व में व्यापार और कच्चे तेल की आपूर्ति को बाधित कर सकता है जिससे इस क्षेत्र के कई देश एवं उनके व्यापारिक भागीदार प्रभावित होंगे।
विश्व की 20 प्रतिशत से अधिक कच्चे तेल की आपूर्ति पश्चिमी एशिया से होती है, इस क्षेत्र में संघर्ष से कच्चे तेल की कीमतें 150 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं। वर्ष 2024 में वैश्विक मुद्रास्फीति लगभग 6.7 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। इसके अलावा भारत और अमेरिका जैसे देशों के लिए गंभीर प्रभाव के परिणामस्वरूप संभावित वैश्विक मंदी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
संघर्ष से हिंद महासागर में समुद्री वाणिज्यिक यातायात सुरक्षा प्रभावित हो रही है जिसमें भारत से जुड़े जहाजों पर हुए कुछ हमले भी शामिल हैं और इसका भारत की ऊर्जा और आर्थिक हितों पर सीधा असर पड़ता है। स्पष्ट रूप से समझा जाना चाहिए यह भयावह स्थिति किसी भी पक्ष को लाभ नहीं पहुंचाएगी।
यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए बड़ी चिंता का विषय है। अनेक देश चाहते हैं कि इजराइल और हमास के बीच युद्ध मानवीय आधार पर रुकना चाहिए ताकि जरूरतमंदों को भोजन, पानी और दवाएं आदि पहुंचाई जा सकें। भारत का दृढ़ विश्वास है कि केवल द्वि-राष्ट्र समाधान ही अंतिम विकल्प है और यही स्थायी शांति प्रदान करेगा जिसकी इजराइल और फलस्तीन के लोग इच्छा रखते हैं और इसके हकदार हैं।