Varanasi News: रविदास मंदिर में 5 लाख श्रद्धालुओं ने नवाया शीश, सीर गोवर्धनपुर बना ‘मिनी पंजाब’; पूर्व मुख्यमंत्री चन्नी ने लिया आशीर्वाद

वाराणसी। धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में संत शिरोमणि रविदास की 648वीं जयंती के अवसर पर उनके जन्मस्थान सीर गोवर्धनपुर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। लाखों रैदासियों ने संत रविदास को नमन करते हुए शीश झुकाया। संत रविदास की जयंती को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, और सीर गोवर्धनपुर का नजारा ‘मिनी पंजाब’ जैसा प्रतीत हो रहा था।

सीर गोवर्धनपुर में लगभग 5 लाख श्रद्धालु 2 किलोमीटर के क्षेत्र में ठहरे हुए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ विदेशों से भी लोग यहां पहुंचे। इस दौरान संत रविदास की प्रतिमा पर कनाडा के नोटों की माला अर्पित की गई। उनके गांव बेगमपुरा की भव्यता और भक्तों के उत्साह ने पूरे इलाके को भक्ति में सराबोर कर दिया।

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राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों का आगमन

रविदास जयंती के मौके पर नगीना से लोकसभा सांसद चंद्रशेखर आजाद ने संत के दर्शन किए। इसके साथ ही पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी संत रविदास का आशीर्वाद लेने पहुंचे। भक्तों की भीड़ इतनी अधिक थी कि मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 4 किलोमीटर लंबी कतार लगी हुई थी। महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग लाइनें बनाई गई थीं। सभी भक्त फूल-मालाएं लेकर घंटों अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उनके चेहरे पर श्रद्धा और खुशी झलक रही थी।

भक्ति और उल्लास का माहौल

इस वर्ष श्री निशान के साथ झंडे का कपड़ा भी बदला गया। ढोल-नगाड़ों की थाप पर रैदासी उत्साह के साथ नाचते-गाते दिखाई दिए। पूरा सीर गोवर्धनपुर भक्ति और उल्लास के रंग में रंगा नजर आया।

रविदास जयंती का महत्व

हर वर्ष माघ मास की पूर्णिमा को संत रविदास की जयंती मनाई जाती है। संत रविदास को रैदास के नाम से भी जाना जाता है। वह एक संत और कवि थे, जिन्होंने समाज को जोड़ने और भक्ति आंदोलन को मजबूत बनाने में अहम योगदान दिया। संत रविदास ने जीवनभर भक्ति और आध्यात्मिकता का मार्ग अपनाया। उनका प्रसिद्ध कथन "मन चंगा तो कठौती में गंगा" आज भी लोगों को प्रेरित करता है।

सीर गोवर्धनपुर में स्थित संत रविदास का स्वर्ण मंदिर श्रद्धालुओं के लिए भक्ति और आस्था का केंद्र बना हुआ है।

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