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भोपाल से यूपी तक का रहस्य: आखिर कैसे ट्रेन से गायब हुई अर्चना तिवारी? 13 दिन बाद नेपाल बॉर्डर से सकुशल बरामद, पुलिस ने खोला पूरा राज
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लखीमपुर खीरी/भोपाल। नर्मदा एक्सप्रेस के एसी कोच से रहस्यमय तरीके से लापता हुई कटनी की छात्र नेता अर्चना तिवारी को पुलिस ने 13 दिन बाद सकुशल बरामद कर लिया। भोपाल रेलवे एसपी राहुल लोढ़ा ने बताया कि अर्चना 7-8 अगस्त की रात ट्रेन से गायब हुई थी और करीब 12 दिन बाद नेपाल सीमा से उसे पकड़ लिया गया। जांच में सामने आया कि परिवार शादी का दबाव बना रहा था, जिससे परेशान होकर उसने यह पूरा नाटकीय प्लान रचा।
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ऐसे रची गई गुमशुदगी की साजिश
अर्चना ने अंदाजा लगाया कि जीआरपी उसके मामले को गंभीरता से नहीं लेगी, इसलिए उसने बिना सीसीटीवी वाली जगह से ट्रेन छोड़ने की योजना बनाई। नर्मदापुरम में तेजेंद्र नामक शख्स ने उसे कपड़े दिए। फिर अर्चना B3 कोच से A2 कोच में गई और आउटर से बाहर निकल गई। उसने तेजेंद्र को अपना मोबाइल बागतवा के जंगलों में फेंकने के लिए कहा। इसके बाद वह सारांश के साथ कार से रवाना हो गई।
अर्चना ने ट्रेन में अपना सामान जानबूझकर छोड़ दिया ताकि लगे कि वह गिर गई है। उसका मोबाइल भी जंगल के पास बंद हो गया। सारांश से वह व्हाट्सएप कॉल पर संपर्क में थी, जिससे कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) ट्रेस नहीं हो पाया। पुलिस ने जब सारांश को हिरासत में लिया, तब पूरी कहानी सामने आई।
अर्चना की यात्रा: भोपाल से नेपाल तक
मीडिया में मामला जोर पकड़ते ही अर्चना ने अपना ठिकाना बदलने की योजना बनाई। वह पहले हैदराबाद गई, फिर बस से दिल्ली पहुंची और वहां से काठमांडू चली गई। सारांश अपना मोबाइल इंदौर में छोड़कर वापस लौट आया था। पुलिस ने जब सारांश को पकड़ा तो अर्चना को नेपाल सीमा पर बुलाया गया और वहीं से उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उसे फ्लाइट से दिल्ली होते हुए भोपाल लाया गया।
जांच में खुलासा
पुलिस जांच में पता चला कि तेजेंद्र और सारांश इंदौर में पड़ोसी थे और उनके बीच पैसों का लेन-देन भी था। कांस्टेबल राम तोमर का गुमशुदगी में कोई हाथ नहीं था, लेकिन वह अर्चना से लगातार फोन पर बात करता और टिकट बुक करता था, जिससे वह परेशान रहती थी। अर्चना ने साफ किया कि उसका सारांश से कोई प्रेम संबंध नहीं था। दरअसल परिवार द्वारा शादी के दबाव और पढ़ाई छोड़ने की मजबूरी से परेशान होकर उसने यह पूरा षड्यंत्र रचा।