लखीमपुर खीरी: बाघ के हमले में बच्ची की मौत पर उबाल, दुधवा मुख्यालय का ग्रामीणों ने किया घेराव

पलिया कलां। लखीमपुर खीरी के पटिहन क्षेत्र के मजरा गांव खुशीपुर में गुरुवार शाम बाघ के हमले में 11 वर्षीय बच्ची की मौत के बाद शुक्रवार को पूरे इलाके में जबरदस्त आक्रोश फैल गया। जैसे ही पोस्टमार्टम के बाद बच्ची के शव के गांव लौटने की सूचना मिली, सैकड़ों ग्रामीण दुधवा मुख्यालय, पलिया पहुंच गए और मुख्य गेट पर नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए। ग्रामीणों की मांग थी कि बच्ची का शव दुधवा गेट पर ही लाया जाए, जिससे प्रशासन और वन विभाग में हड़कंप मच गया। अधिकारी मौके पर पहुंचकर स्थिति संभालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीण अपनी मांगों पर डटे हुए हैं।

गुरुवार शाम करीब 6:40 बजे खुशीपुर निवासी अभिमन्यु की 11 वर्षीय बेटी डिंपल अपनी दादी के साथ नल पर पानी लेने जा रही थी। तभी अचानक बाघ ने हमला कर उसे गन्ने के खेत में घसीट लिया। ग्रामीणों द्वारा खोजबीन करने पर बच्ची का शव खेत से बरामद हुआ। पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों ने जांच के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

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आक्रोशित ग्रामीणों का दुधवा मुख्यालय पर जमावड़ा

शुक्रवार दोपहर सैकड़ों ग्रामीण दुधवा मुख्यालय पहुंचकर धरने पर बैठ गए। इस बीच पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद बच्ची का शव दूसरे रास्ते से गांव भेज दिया, जिसके बाद गुस्सा और भड़क उठा। ग्रामीण वन विभाग की भारी लापरवाही का आरोप लगाते हुए शव को धरना स्थल पर मंगाने की जिद पर अड़े रहे। मौके पर एसडीएम डॉ. अवनीश कुमार, थानाध्यक्ष पंकज त्रिपाठी और वन विभाग के अधिकारी पहुंचे और शांत कराने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीण अपनी मांगों पर अड़े रहे।

धरने में खुशीपुर, पटिहन, गजरौरा, मुजहा सहित कई गांवों के लोगों के साथ राम बसंत, महेंद्र सिंह, राम केवल, हीरालाल, तपेश्वर, चंदन सिंह, जरनैल सिंह, मंदीप मौर्य, संदीप सिंह, गोल्डी, रामचंद्र गौतम, दिनेश कुमार, जीत सिंह, आरती राय समेत कई लोग शामिल रहे।

ग्रामीणों का आरोप: लापरवाही ने ले ली मासूम की जान

ग्रामीणों का कहना है कि कई दिनों से बाघ को इलाके में देखा जा रहा था, लेकिन वन विभाग ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। केवल सतर्क रहने की सलाह देकर विभाग ने मामले को नजरअंदाज किया, जिसका नतीजा यह दर्दनाक हादसा रहा। घटना के बाद भी विभाग का रवैया उदासीन बताया जा रहा है।

ग्रामीणों की प्रमुख मांगें

ग्रामीणों ने प्रशासन के सामने यह मांगें रखीं:

  • मृतक बच्ची के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा
  • परिवार के एक सदस्य को वन विभाग में नौकरी
  • आवासीय पट्टा और आवास उपलब्ध कराया जाए
  • बाघ को ट्रेंकुलाइज करके या पिंजरा लगाकर पकड़ा जाए

काफी प्रयासों के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने 5 लाख रुपये मुआवजा, आवासीय पट्टा, आवास और बाघ को पकड़कर अन्य जंगल में छोड़ने का आश्वासन दिया। इसके बावजूद ग्रामीण मांगें पूरी होने तक धरना समाप्त न करने पर अड़े हुए हैं।

वहीं, पुलिस गांव में तैनात है और बच्ची के शव को पलिया मुख्यालय की ओर लाने से रोक रही है।

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