गणेश चतुर्थी आशा और समृद्धि का पर्व है : डॉ. अखिलेश उपाध्याय

संकट चतुर्थी इस बार 12 अगस्त को यानि आज ही है। इसे बहुला या हेरंब संकट चतुर्थी भी कहा जाता है। चतुर्थी व्रत में उदया तिथि का महत्व नहीं होता है। चंद्रोदय यानी चतुर्थी व्रत में चंद्रमा के उदय का महत्व होता है। महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुख संपत्ति के लिए व्रत रखती है। गणेश जी को सफेद या लाल रंग के फूल व साथ में दूर्वा भी अर्पित की जाती है। व्रत के दौरान महिलाएं सिर्फ फल और जड़े जैसे आलू, शकरकंद और गाजर आदि ही खा सकती है। चांद (चंद्रमा) को देखकर ही व्रत को खोला जाता है।

चंद्रोदय होने पर जल में दूध, चंदन, शहद, रोली आदि डालकर ही अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य देने के बाद ही संकट चतुर्थी का व्रत पूर्ण माना जाता है। चंद्रमा का उदय यानी चंद्रोदय 8:37 के बाद ही है।बहुला व्रत में गेहूं चावल व गाय के उत्पाद का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन श्री गणेश जी व गौ माता का पूजन अर्चन किया जाता है। पूरे दिन व्रत रखने के उपरांत सायंकाल पूजा के साथ ही घर के बाहर या खुले आसमान के नीचे व्रत तोड़ा जाता है।

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ज्योतिषाचार्य
डॉ अखिलेश कुमार उपाध्याय 
इंदरपुर, थम्हनपुरा, बलिया 
 9918861411

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