बलिया बलिदान दिवस : शहीदों की गाथा से गूंजा शहर, खुला जेल का फाटक

बलिया। बलिया बलिदान दिवस के अवसर पर मंगलवार को जिले में भव्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दौरान स्वतंत्रता संग्राम में प्राण न्यौछावर करने वाले अमर शहीदों को नमन किया गया। ऐतिहासिक रैली के साथ जिला कारागार का मुख्य फाटक खोला गया, तो वंदेमातरम् और भारत माता की जय के नारों से वातावरण गूंज उठा।

जिला कारागार परिसर में स्थापित अमर शहीद राजकुमार बाघ की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके बाद रैली निकाली गई, जिसने शहर के प्रमुख चौराहों पर पहुंचकर स्वतंत्रता सेनानियों और महापुरुषों की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित किए। श्रद्धांजलि देने वालों में वीरवर बाबू कुंवर सिंह, रामदहिन ओझा, डॉ. भीमराव अंबेडकर, चित्तू पांडे, तारकेश्वर पांडे, मंगल पांडे, लाल बहादुर शास्त्री, चंद्रशेखर आजाद, महात्मा गांधी समेत कई महान विभूतियों के नाम शामिल रहे। यह रैली क्रांति मैदान (टाउन हॉल) पहुंचकर सम्पन्न हुई।

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इस ऐतिहासिक आयोजन में प्रभारी मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी, जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह, पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह, सीडीओ ओजस्वी राज सहित आमजन, छात्र-छात्राओं और अधिकारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

शहीदों के परिवारों को सम्मान, दिखाई गई डॉक्यूमेंट्री

गंगा बहुद्देशीय सभागार में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ प्रभारी मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने दीप प्रज्वलित कर एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण से किया। इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम विचार पांडे और 49 स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को साल व किचन सेट देकर सम्मानित किया गया।

साथ ही 19 अगस्त 1942 की ऐतिहासिक बलिया बलिदान दिवस पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी प्रदर्शित की गई। बच्चों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों में 1857 की क्रांति से लेकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन तक बलिया के योगदान को मंचित किया गया।

बलिया की मिट्टी को मिला विशेष सम्मान

प्रभारी मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने कहा कि “अगर 1857 की क्रांति सफल हो जाती तो आज का इतिहास अलग होता। लेकिन 1942 में महात्मा गांधी के आह्वान पर बलिया देश का पहला जिला बना जिसने अंग्रेजों को सत्ता से बाहर कर दिया। यह धरती मंगल पांडे, चित्तू पांडे, कुंवर सिंह और मां गायत्री देवी जैसी विभूतियों की जन्मभूमि है।”

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि बलिया का गौरवशाली इतिहास केवल प्रतीकात्मक आयोजनों तक सीमित नहीं रहेगा। इसे स्थायी स्वरूप देने के लिए भव्य स्मारक और संस्थान विकसित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2022 में बलिया मेडिकल कॉलेज की स्थापना और चित्तू पांडे स्मृति संस्थान के लिए भूमि आवंटन की घोषणा की थी।

राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने कहा कि “बच्चों ने जिस समर्पण और जोश से प्रस्तुतियां दीं, वह प्रेरणादायक है। बलिया की पहचान बागी बलिया के रूप में है और हम गर्व से इसका परिचय देते हैं।”

छात्र-छात्राओं को मिला पुरस्कार

इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों के बच्चों ने देशभक्ति गीत, नाट्य प्रस्तुति और सांस्कृतिक झांकियां पेश कीं। सरस्वती वंदना, “तेरी मिट्टी में मिल जावां” गीत और चित्तू-मंगल पांडे पर नाटक को खूब सराहा गया। कार्यक्रम में भाग लेने वाली 6 टीमों को 11-11 हजार रुपये की नकद राशि देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह, पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह, सीडीओ ओजस्वी राज, नगर पालिका अध्यक्ष संत कुमार गुप्ता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामविचार पांडे, महिला आयोग की सदस्य सुनीता सिंह, विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक-छात्र एवं बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।

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