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वाराणसी : मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत 2616 से अधिक लाभार्थी बच्चों को मिली आर्थिक मदद
वाराणसी। वाराणसी के मुख्य विकास अधिकारी प्रखर कुमार सिंह ने रविवार को बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार 'मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना' (सामान्य एवं कोविड) के जरिए अनाथ एवं बेसहारा बच्चों की शिक्षा, भरण-पोषण और पुनर्वास की पूरी जिम्मेदारी उठाते हुए उनके अभिभावक की भूमिका निभा रही है।
इनमें से कोविड योजना के 357 लाभार्थियों को 59.68 लाख रुपये तथा सामान्य योजना के 2259 लाभार्थियों को 155.70 लाख रुपये वितरित किए गए हैं। कोविड योजना के पात्र लाभार्थियों को नियम अनुसार 160 लैपटॉप भी प्रदान किए जा चुके हैं।
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) में श्रेणीवार लाभार्थी जिनमें अनाथ : 41, एकल अभिभावक वाले बच्चे 2176, संस्था से पुनर्वासित बच्चे 17, बाल श्रम एवं भिक्षावृत्ति से मुक्त कराए गए बच्चे 11, कुटुंब द्वारा परित्यक्त माता के बच्चे 5, तलाकशुदा मां के बच्चे 9 हैं।
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (कोविड) में श्रेणीवार लाभार्थी जिनमें अनाथ 10, एकल अभिभावक वाले बच्चे 347, कोविड-19 महामारी में जिन बच्चों ने माता-पिता दोनों या किसी एक को खो दिया, उन्हें योगी सरकार निरंतर आर्थिक सहायता दे रही है ताकि उनकी मूलभूत जरूरतें पूरी हो सकें।
इसके अतिरिक्त ऐसे बच्चों को कक्षा 12 तक निःशुल्क शिक्षा, लैपटॉप तथा बालिकाओं के विवाह योग्य होने पर एक लाख रुपये की सहायता भी दी जाती है। चयनित बच्चों को 23 वर्ष की आयु तक यह सहायता मिलती रहती है। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (सामान्य) में 0 से 23 वर्ष तक के वे बच्चे शामिल हैं, जिन्होंने कोविड को छोड़कर अन्य किसी कारण से माता-पिता दोनों या किसी एक अभिभावक को खो दिया हो।
कक्षा 12 पास करने के बाद भी यदि बच्चा विश्वविद्यालय में पढ़ाई या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हो तो उसे योजना का लाभ मिलता रहता है। एक लाभार्थी की मां शिप्रा सिन्हा ने बताया, "इस योजना से मेरी बेटी की पढ़ाई में सबसे ज्यादा मदद मिली है। अभिभावक की तरह साथ खड़ी सरकार की इस आर्थिक सहायता के लिए मैं निःशब्द हूं।"
