69000 शिक्षक भर्ती: अंतिम तिथि के बाद योग्य हुए शिक्षकों की सेवा होगी समाप्त, दोषी अधिकारियों पर भी गिरेगी गाज

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में हुई 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती में उन शिक्षकों की नौकरी खतरे में है, जिन्होंने आवेदन की अंतिम तिथि 22 दिसंबर 2018 के बाद न्यूनतम शैक्षिक अर्हता प्राप्त की थी। इस संबंध में बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी ने सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) को सेवा समाप्ति की कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। सचिव का यह निर्देश 9 मई को जारी हुआ था, जो अब सार्वजनिक हुआ है।

भर्ती प्रक्रिया में ऐसे कई अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जिनका बीटीसी (अब डीएलएड) कोर्स 22 दिसंबर 2018 तक पूरा नहीं हुआ था। हालांकि भर्ती के दौरान उन्होंने प्रमाणपत्र प्राप्त कर लिया और उनका चयन भी हो गया। अब हाईकोर्ट के आदेश और शासन के निर्देशों के अनुसार, आवेदन की अंतिम तिथि तक शैक्षिक अर्हता पूरी नहीं करने वाले अभ्यर्थी चयन के पात्र नहीं माने जाएंगे।

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कितनों को मिली थी नियुक्ति

पहले चरण में: 31,277 शिक्षक (अक्टूबर 2020)

दूसरे चरण में: 36,590 शिक्षक (दिसंबर 2020)

तीसरे चरण में: 6,696 शिक्षक

इन शिक्षकों को नियुक्त हुए लगभग पांच वर्ष हो चुके हैं। अब सेवा समाप्ति की कार्रवाई से उनके भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।

बीएसए और चयन समिति की भी होगी जांच

सचिव ने स्पष्ट किया है कि दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी कार्रवाई होगी। उन्होंने निर्देश दिया है कि ऐसे मामलों में शामिल चयन समिति के सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम और कार्यकाल की जानकारी वर्षवार उपलब्ध कराई जाए। नियमों के मुताबिक, अर्हता की जांच और सत्यापन की जिम्मेदारी चयन समिति की होती है। अतः 22 दिसंबर 2018 के बाद अर्हता प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों के चयन के लिए समिति सीधे जिम्मेदार होगी।

प्रदेश भर में कितने ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने अंतिम तिथि के बाद अर्हता प्राप्त की, इसकी संख्या अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन सभी जिलों में इस संबंध में जांच शुरू हो चुकी है और जल्द ही सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी। इस आदेश के बाद शिक्षक समुदाय में चिंता और असमंजस का माहौल है।

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