Kanpur News: बसपा नेता पिंटू सेंगर मर्डर केस में आरोपी दीनू से 7 घंटे पूछताछ, कई राज़ से उठा पर्दा

कानपुर। बसपा नेता पिंटू सेंगर की हत्या मामले में आरोपी दीनू उपाध्याय उर्फ धीरज को पुलिस ने सोमवार को सात घंटे की रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ की। जेल से बाहर आते ही दीनू भावुक हो उठा और फूट-फूट कर रो पड़ा। मेडिकल के बाद कैंट थाने पहुंचने पर भी जब उसने किसी वकील को मौजूद नहीं पाया, तो वह फिर से रोने लगा। बाद में जब पुलिस उसे उसके घर लेकर पहुंची तो घर में घुसते ही बोला, "मैं अपनी भतीजी के पाप का भोग भुगत रहा हूं।" पुलिस ने किसी तरह उसे शांत किया और घर की तलाशी ली।

पूछताछ में किए भटकाने के प्रयास

पुलिस के अनुसार, दीनू ने शुरू में जांच को भटकाने की कोशिश की और जानकारी छिपाने का प्रयास किया। लेकिन जब पुलिस ने उसके सामने सबूत रखे, तो वह टूट गया और हत्या से जुड़ी जानकारियां दे दीं। उसने महफूज, सऊद और पप्पू स्मार्ट के साथ संबंधों और उनकी भूमिका का भी खुलासा किया। संपत्ति से जुड़े सवालों पर भी शुरू में गोलमोल जवाब दिए, लेकिन दबाव में आकर उसने कुछ साथियों के नाम और संपत्तियों की जानकारी दे दी।

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दफ्तर और घर पर तलाशी

रैना मार्केट स्थित आनंदेश्वर एसोसिएट दफ्तर में करीब 45 मिनट तक पुलिस ने जांच की। दीनू को बाद में नवाबगंज थाने ले जाया गया और वहां से उन जगहों पर ले जाया गया जहां से हत्या से जुड़े साक्ष्य मिलने की संभावना थी।

मोबाइल नहीं मिला

दीनू का मोबाइल बरामद नहीं हो पाया है। पुलिस को संदेह है कि मोबाइल में हत्या से संबंधित ऑडियो, वीडियो या अन्य अहम दस्तावेज हो सकते हैं। पुलिस ने दीनू से जुड़े पुलिसकर्मियों, केस से नाम हटने और फिर जोड़ने की प्रक्रिया की भी जांच की।

बार एसोसिएशन के महामंत्री भी पहुंचे

दीनू की रिमांड के दौरान बार एसोसिएशन के महामंत्री अमित सिंह भी वकीलों की टीम के साथ रैना मार्केट में मौजूद रहे। जांच पूरी होने तक वे वहीं रहे और बाद में नवाबगंज थाने भी पहुंचे।

सीडीआर से सामने आईं कॉल डिटेल्स

अभियोजन पक्ष ने बताया कि दीनू, मृतक पिंटू सेंगर और आरोपी महफूज अख्तर के बीच लगातार संपर्क में था। घटना वाले दिन पिंटू से दो बार बात हुई और घटना से तीन माह पहले महफूज से पांच बार कॉल हुई थी। इन सभी कॉल्स का उल्लेख केस डायरी में है।

पुराना विवाद, नई जांच

40 बीघा जमीन के विवाद को लेकर पुलिस ने रिमांड की अर्जी दाखिल की थी। यह विवाद करीब 90 वर्षों से चला आ रहा है। कोर्ट ने इस संबंध में 31 मई तक की रिमांड मंजूर की है।

पृष्ठभूमि: पिंटू सेंगर मर्डर केस

30 जून 2020 को जाजमऊ में बसपा नेता पिंटू सेंगर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पिंटू के भाई धर्मेंद्र सेंगर ने कई लोगों को नामजद किया था, जिनमें दीनू उपाध्याय और अरिदमन सिंह भी शामिल थे। प्रारंभिक विवेचना में दोनों के नाम जानबूझकर हटा दिए गए थे, जिस पर तत्कालीन इंस्पेक्टर सभाजीत मिश्रा को निलंबित किया गया था।

धर्मेंद्र सेंगर और अधिवक्ता संदीप शुक्ला की शिकायत के बाद केस की दोबारा जांच हुई और दीनू व अरिदमन के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। 10 मई को दीनू को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, जबकि अरिदमन की गिरफ्तारी भी संभावित है।

यह मामला एक राजनीतिक हत्या के पीछे के जटिल नेटवर्क, मिलीभगत और लंबी चली आ रही जमीनी रंजिश की परतों को उजागर कर रहा है। पुलिस अब मामले की हर कड़ी को जोड़ने में लगी हुई है।

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