2000 छात्राओं की नजरें झुकीं, नगर निगम बेपरवाह: खुलेआम सड़कों पर नहा रहे लोग

लखनऊ। सड़क पर अतिक्रमण और खुलेआम अश्लीलता ने छात्राओं की सुरक्षा व गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एपीसेन गर्ल्स डिग्री कॉलेज की छात्राओं और शिक्षिकाओं को कॉलेज आते-जाते समय नजरें झुकाकर गुजरना पड़ रहा है, लेकिन नगर निगम, जिला और पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता जस की तस बनी हुई है। कॉलेज प्रशासन द्वारा लिखित शिकायतों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

यह कॉलेज नगर निगम के जोन-1, बाबू बनारसी दास वार्ड में स्थित है, जहां करीब 2,000 छात्राएं अध्ययनरत हैं। कॉलेज तक पहुंचने वाले मार्ग के दोनों ओर अतिक्रमण फैला है—लोगों ने न सिर्फ सड़क पर निर्माण कर रखा है, बल्कि घरों का सामान भी सड़कों पर फैलाया हुआ है। परिणामस्वरूप सड़क तंग गली में तब्दील हो चुकी है और दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है।

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सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि सड़क किनारे फुटपाथ पर लगी नगर निगम की पानी की टंकी के पास लोग खुले में अर्द्धनग्न होकर स्नान करते हैं। आरोप है कि आते-जाते समय छात्राओं के साथ अश्लील हरकतें भी की जाती हैं। कॉलेज की प्राचार्य ने इस गंभीर समस्या को अधिकारियों के समक्ष उठाने के साथ मीडिया के माध्यम से भी छात्राओं-शिक्षिकाओं की पीड़ा सामने रखी थी। इस मुद्दे को 10 दिसंबर के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किए जाने के बाद महापौर सुषमा खर्कवाल ने निरीक्षण की बात कही थी, लेकिन 15 दिन बीतने के बावजूद न तो स्थल पर कोई पहुंचा और न ही समाधान की दिशा में कोई पहल हुई।

फुटपाथ पर कब्जे, नालियों तक पर अतिक्रमण

कॉलेज मार्ग के दोनों फुटपाथों पर कब्जा कर पक्के मकान बना लिए गए हैं। अवैध रूप से रह रहे लोगों ने नालियों पर भी कब्जा कर लिया है, जिससे सड़क और संकरी हो गई है। फुटपाथ पर लगी पानी की टंकी का उपयोग कपड़े धोने से लेकर स्नान तक के लिए किया जा रहा है, जिससे पैदल आवागमन और अधिक कठिन हो गया है।

क्षेत्रीय पार्षद आशीष कुमार हितैषी ने बताया कि कई बार मना करने के बावजूद खुले में स्नान बंद नहीं हुआ। उनका कहना है कि समस्या का स्थायी समाधान फुटपाथ से टंकी हटवाने और अतिक्रमण हटाने से ही संभव है। इसके लिए नगर निगम प्रशासन और महापौर को पत्र देने की बात कही गई है।

स्थानीय लोगों और कॉलेज प्रशासन की मांग है कि तत्काल अतिक्रमण हटाकर छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, ताकि उन्हें सम्मानजनक और सुरक्षित वातावरण मिल सके।

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