केजीएमयू में ‘लव जिहाद’ के आरोप पर उबाल: कैंडल मार्च निकालकर प्रदर्शन, कार्रवाई की मांग

लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में सामने आए कथित ‘लव जिहाद’ प्रकरण को लेकर शनिवार को राजधानी लखनऊ में जोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ। आम नागरिक के बैनर तले चिकित्सक, मेडिकल छात्र, अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और एसिड सर्वाइवर्स ने कैंडल मार्च निकालकर विरोध दर्ज कराया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने आरोपी डॉक्टर रमीज और केजीएमयू प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

1090 चौराहे पर हुए प्रदर्शन में “केजीएमयू में लव जिहाद शर्मनाक है”, “केजीएमयू प्रशासन मुर्दाबाद” और “केजीएमयू में लव जिहाद बंद करो” जैसे नारे गूंजे। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि मामला सामने आने के बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

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प्रदर्शन में शामिल डॉक्टर अभिषेक पांडे ने कहा कि केजीएमयू में हुई घटना पूरे समाज के संज्ञान में है, लेकिन पहले हुए बड़े प्रदर्शन के बाद भी प्रशासन ने प्रभावी कदम नहीं उठाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि आरोपी डॉक्टर रमीज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो और पीड़िता को न्याय मिले।

उन्होंने जांच के लिए गठित कमेटी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह केवल औपचारिकता प्रतीत होती है। एक महिला डॉक्टर से जुड़े संवेदनशील मामले में गठित विशाखा कमेटी को उन्होंने लाचार बताया और आरोप लगाया कि इसमें ऐसे लोग शामिल हैं जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उनकी मांग है कि मौजूदा कमेटी भंग कर पुलिस प्रशासन, महिला चिकित्सकों, अधिवक्ताओं और स्वतंत्र सदस्यों को शामिल करते हुए नई जांच कमेटी बनाई जाए।

प्रदर्शन में शामिल डॉक्टर ताविषि मिश्रा ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में केजीएमयू प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आई है। उन्होंने आरोप लगाया कि जांच कमेटी में किसी महिला सदस्य का न होना प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाता है। साथ ही, पीड़िता के सहयोगी मेडिकल छात्रों को डराए जाने का आरोप भी लगाया गया, जिससे वे खुलकर सामने नहीं आ पा रहे हैं।

डॉ. ताविषि ने बताया कि पीजी छात्रों पर फेल करने का दबाव बनाया जा रहा है, जिसके चलते कई अहम तथ्य सामने नहीं आ पा रहे। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल एक डॉक्टर का नहीं, बल्कि इंसानियत और न्याय से जुड़ा है—और समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी यह दिखाती है कि लोग पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए एकजुट हैं।

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