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Christmas Special: डालीगंज का ‘चर्च ऑफ सेवियर’..सांप्रदायिक सद्भाव और सेवा का प्रतीक
लखनऊ। डालीगंज में स्थित डालीगंज मेथोडिस्ट चर्च सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल है। चर्च के आसपास ही मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा स्थित हैं, जो आपसी संतुलन और सह-अस्तित्व का जीवंत उदाहरण पेश करते हैं। गोमती नदी के तट पर बना यह चर्च न सिर्फ आस्था का केंद्र है, बल्कि शिक्षा और सेवा की परंपरा का भी प्रतीक है।
हर तीन साल में पादरी का स्थानांतरण
डालीगंज चर्च की एक खास परंपरा यह है कि यहां पादरी का पद स्थानांतरणीय होता है—कोई भी पादरी तीन वर्ष से अधिक समय तक यहां नियुक्त नहीं रहता। वर्तमान में कुर्सी रोड चर्च से पादरी काशीनाथ यहां सेवाएं दे रहे हैं, जबकि पूर्व पादरी शैलेश टाइटस को कुर्सी रोड भेजा गया है।
बाहरी रूप से साधारण दिखने वाला यह चर्च भीतर से बेहद सुंदर है। एक ओर पादरी का आवास है, दूसरी ओर स्कूल। चर्च कार्यकारिणी के सदस्य संजोग वाल्टर बताते हैं कि यह स्थल आपसी प्रेम और सद्भाव का प्रतीक है। आसपास कूड़े की समस्या के बावजूद चर्च प्रबंधन ने कभी विवाद नहीं किया—सेवा और सहनशीलता को प्राथमिकता दी।
कैसे पहुंचें
डालीगंज पुल से आईटी कॉलेज जाने वाली सड़क पर स्थित यह चर्च, डालीगंज पुल से 200 मीटर, मनकामेश्वर मंदिर से 1 किमी और आईटी कॉलेज से 2 किमी की दूरी पर है। व्यस्त मार्ग पर होने से यहां पहुंचना आसान है।
कैथेड्रल जोड़
कैथेड्रल चर्च में क्रिसमस के अवसर पर नाटकों और बच्चों के कार्यक्रमों की जोरदार तैयारियां चल रही हैं। रंग-बिरंगी पोशाकों में बच्चे उत्साह के साथ रिहर्सल कर रहे हैं। चर्च में “प्रभु के आगमन के लिए जागते रहो और प्रार्थना करते रहो” की थीम पर आयोजन की तैयारियां की जा रही हैं।
