UP News : FIR में 8 दिन की देरी और अब बरामदगी न होना, खीरी पुलिस के गले की फांस

लखीमपुर खीरी। प्रेम प्रसंग के चलते दूसरे समुदाय के युवक के साथ गई एक युवती के मामले ने खीरी पुलिस की लापरवाही को उजागर कर दिया है। परिजनों की तहरीर के बावजूद पुलिस ने न तो आठ दिन तक एफआईआर दर्ज की और न ही युवती की बरामदगी के प्रयास किए। नतीजतन मामला दो समुदायों के बीच तनाव का कारण बना और पुलिस की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई।

युवती के गायब होने के बाद परिजन लगातार कोतवाली सदर के चक्कर काटते रहे, लेकिन पुलिस टालमटोल करती रही। जब परिजनों को जानकारी मिली कि युवती का धर्मांतरण कराया गया है, तो गुस्से में उन्होंने सैकड़ों लोगों के साथ कोतवाली पहुंचकर घेराव किया और हंगामा किया। इसके बाद अगले दिन हिंदू संगठनों के साथ परिजनों ने एसपी कार्यालय पर प्रदर्शन कर कोतवाल समेत जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की।

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इस बीच, सदर कोतवाल का गैरजिम्मेदाराना बयान भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया जिसमें उन्होंने कहा था कि “अगर लड़की नहीं आई तो मेरे मुंह पर कालिख पोत देना।” इस बयान पर लोग पुलिस की कार्यशैली पर तंज कस रहे हैं।

धर्मांतरण का आरोप और गंभीरता बढ़ी

परिजनों का आरोप है कि युवती को बहला-फुसलाकर ले जाया गया और उसका धर्मांतरण कराने की कोशिश की गई। उनका कहना है कि पुलिस ने जानबूझकर मामले को दबाने की कोशिश की।

सैधरी कांड से पहले भी फजीहत

गौरतलब है कि इससे पहले पखवाड़े भर पहले सैधरी निवासी अमित भार्गव की हत्या के मामले में भी सदर कोतवाली पुलिस की लापरवाही और ज्यादती उजागर हुई थी। उस मामले में भी लोगों का आक्रोश भड़का था और हिंदू संगठनों ने कोतवाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी।

पुलिस पर बढ़े सवाल

लगातार हुई इन घटनाओं ने खीरी पुलिस की छवि पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अब चाहे अफसर सफाई दें, लेकिन एफआईआर दर्ज करने में देरी और युवती की बरामदगी न होना पुलिस की गंभीर चूक और लापरवाही मानी जा रही है।

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