भारतीय साहित्य के गौरव आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की जयंती पर श्रद्धांजलि

बलिया। “धन्य है ओझवलिया की माटी, जहां आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे नररत्न ने जन्म लिया और हिंदी साहित्य को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित किया।” यह भाव मंगलवार को ओझवलिया में आचार्य पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी की 119वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जनार्दन राय ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि निबंध, आलोचना, साहित्येतिहास और उपन्यास सभी विधाओं में उनकी लेखनी अमिट छाप छोड़ती है। वे सदैव भारतीय साहित्य के यशस्वी व्यक्तित्व के रूप में याद किए जाएंगे।

वरिष्ठ साहित्यकार श्रीशचन्द्र पाठक ने कहा कि पद्मभूषण से सम्मानित आचार्य द्विवेदी की पांच दर्जन से अधिक कृतियाँ आज भी साहित्य जगत का मार्गदर्शन कर रही हैं। कबीर, साहित्य का मर्म, मृत्यंजय रवीन्द्र, मध्यकालीन बोधस्वरूप, पुनर्नवा, अनामदास का पोथा जैसे उपन्यास तथा अशोक के फूल, विचार और वितर्क, आलोक पर्व जैसे निबंध उनकी साहित्यिक ऊँचाई का प्रमाण हैं।

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आचार्य पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मारक समिति के सचिव सुशील कुमार द्विवेदी ने कहा कि वे साहित्य को मानव कल्याण का साधन मानते थे। उनका विराट साहित्य उनके उदार व्यक्तित्व का प्रतिरूप है।

कार्यक्रम में अक्षयवर मिश्रा, विवेक राय पिंटू, विनोद गुप्ता, धीरज मिश्रा, अक्षय कुमार, पप्पू डॉक्टर, अरविंद गुप्ता, रजत विराट गुप्ता, सोनू दुबे सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित रहे। सभी ने आचार्य द्विवेदी के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीशचन्द्र पाठक ने और संचालन सुशील कुमार द्विवेदी ने किया।

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