उन्नाव : तत्कालीन डीएम के तबादले के बाद फिर शहर में तान दिए गए यूनिपोल, प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

उन्नाव। शहर में एक बार फिर प्रिंटिंग एजेंसियों की मनमानी सामने आ रही है। बिना अनुमति लगाए गए यूनिपोल न केवल यातायात व्यवस्था में बाधा बन रहे हैं, बल्कि आम लोगों की जान के लिए भी खतरा पैदा कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इस गंभीर समस्या के बावजूद जिम्मेदार विभाग और प्रशासन मूकदर्शक बने हुए हैं।

नगर पालिका परिषद खुद यह मान रही है कि संबंधित एजेंसी ने यूनिपोल हटाने या वैधीकरण को लेकर आवेदन तो दिया है, लेकिन अब तक पूरी प्रक्रिया नहीं हो सकी है। सवाल यह उठता है कि जब वैधीकरण की प्रक्रिया अधूरी है, तो शहर के प्रमुख चौराहों और सड़कों पर भारी-भरकम यूनिपोल किस आधार पर लगाए गए हैं। छोटा चौराहा, बड़ा चौराहा एसबीआई बैंक के सामने, गुरुद्वारे के पास पीएनबी बैंक, आईबीपी क्षेत्र, कुलबीर क्लॉथ हाउस और धवन रोड बड़ा चौराहा सहित कई व्यस्त इलाकों में यूनिपोल खुलेआम खड़े नजर आ रहे हैं।

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स्थानीय लोगों का कहना है कि तेज हवा या बारिश के दौरान ये यूनिपोल कभी भी गिर सकते हैं, जिससे बड़े हादसे की आशंका बनी रहती है। उल्लेखनीय है कि पूर्व में तत्कालीन जिलाधिकारी देवेंद्र पाण्डेय के कार्यकाल में अवैध यूनिपोल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई थी। उस समय एजेंसी संचालकों पर एफआईआर भी दर्ज हुई थी, लेकिन बाद में कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई। नतीजतन एजेंसियों के हौसले बढ़ गए और अवैध यूनिपोल दोबारा शहर में खड़े हो गए।

नागरिकों का सवाल है कि यदि किसी यूनिपोल के गिरने से जान-माल का नुकसान होता है, तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी—एजेंसी की, नगर पालिका की या प्रशासन की? इस पर अब तक किसी भी विभाग की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। लगातार शिकायतों और पूर्व कार्रवाई के बावजूद मौजूदा समय में कोई ठोस कदम न उठाया जाना प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है। समय रहते यदि अवैध यूनिपोल नहीं हटाए गए, तो किसी बड़े हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता।

नगर पालिका का पक्ष

नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी एस.के. गौतम ने बताया कि संबंधित एजेंसियों के आवेदन प्राप्त हुए हैं और उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है। मामले में प्रक्रिया पूरी होने के बाद आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

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