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महाकुंभ में भगदड़: बैरिकेडिंग तोड़कर आई भीड़, संगम तट पर सो रहे श्रद्धालुओं को रौंदा

महाकुंभनगर: मौनी अमावस्या के अवसर पर त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने और अखाड़ों के साधु-संतों के दर्शन की आस लिए संगम तट पर विश्राम कर रहे श्रद्धालुओं को मंगलवार देर रात अनियंत्रित भीड़ ने कुचल दिया। अचानक बैरिकेडिंग तोड़कर उमड़ी भीड़ के कारण कई श्रद्धालु भगदड़ की चपेट में आ गए। इस हादसे में सुरक्षित बचे श्रद्धालुओं ने मेला क्षेत्र से निकलते समय इस भयावह घटना का विवरण साझा किया।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया आंखों देखा हाल
बरेली से आई पूर्व शिक्षिका सुमन सिंह ने इस हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, "हम गंगा मैया में पुण्य स्नान के लिए आए थे, लेकिन ऐसी अनहोनी की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। लगता है, गंगा मैया को यही मंजूर था। यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है।"
144 साल बाद दुर्लभ स्नान का अवसर, भारी भीड़ उमड़ी
जयपुर के बाड़मेर निवासी सज्जन पुरखोलिया ने सेक्टर-2 में बने मीडिया शिविर के पास घटना के बारे में बताया, "144 साल बाद अमृत स्नान का यह दुर्लभ अवसर आया है, जिसे कोई भी खोना नहीं चाहता था।" यही कारण था कि देश-विदेश से श्रद्धालु संगम तट पर खुले आसमान के नीचे डेरा डालकर बैठे थे। लेकिन जब बैरिकेडिंग टूटी तो हजारों लोगों की भीड़ बेकाबू हो गई, और कई श्रद्धालु इसकी चपेट में आ गए।
उन्होंने कहा, "हमारा सौभाग्य था कि हम और हमारे साथ आए पांच लोग किसी तरह बच गए।" घटनास्थल पर जूते-चप्पल और कपड़े बिखरे पड़े थे, जो इस त्रासदी की गवाही दे रहे थे। इस हादसे में कई महिलाएं और श्रद्धालु घायल हो गए, जिन्हें सुरक्षाकर्मियों ने एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया।
अखाड़ों के दर्शन की लालसा में डटे रहे श्रद्धालु
कई श्रद्धालु नागा सन्यासियों के दर्शन के लिए संगम तट पर डटे रहे। इस संदर्भ में सज्जन पुरखोलिया ने कहा, "जो लोग गंगा तट पर आकर मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं, वे वास्तव में भाग्यशाली हैं।"
प्रशासन को पहले से था खतरे का अंदेशा
प्रयागराज के मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने पहले ही भीड़ से भगदड़ होने की संभावना को भांप लिया था। उन्होंने छोटे लाउडस्पीकर से श्रद्धालुओं को जागरूक करने का प्रयास किया और कहा
"सभी श्रद्धालु ध्यान दें! यहां लेटे रहने से कोई फायदा नहीं है। जो सोवत है, वो खोवत है। उठिए और स्नान करिए। बहुत अधिक भीड़ आने वाली है, जिससे भगदड़ मच सकती है। आप पहले आए हैं, इसलिए पहले स्नान करके सुरक्षित वापस जाएं।"
हालांकि, इस घटना के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई। चारों दिशाओं से लोग लगातार मेला क्षेत्र में पहुंच रहे हैं, और अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त करने के लिए उमंग के साथ संगम तट पर डुबकी लगा रहे हैं।