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SGPGI: अंग प्रत्यारोपण में नई उम्मीद बने प्रो. राजेश हर्षवर्धन, बने चिकित्सा अधीक्षक
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लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में अंग प्रत्यारोपण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहे प्रो. राजेश हर्षवर्धन को एक नई जिम्मेदारी मिली है। गुरुवार को संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमन ने उन्हें SGPGI का नया चिकित्सा अधीक्षक नियुक्त किया। वर्तमान में वह अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख के साथ-साथ स्टेट ऑर्गन टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (SOTO) के संयुक्त निदेशक की भूमिका भी निभा रहे हैं।
पढ़ाई से जुनून तक का सफर
संपन्न परिवार में जन्मे प्रो. राजेश का बचपन देश के कई शहरों में बीता। पिता डॉ. रमेश चंद्र द्विवेदी जाने-माने चिकित्सक रहे, वहीं उनके चाचा साहित्यकार और मामा IAS अधिकारी रहे। इसका प्रभाव प्रो. राजेश के व्यक्तित्व पर भी पड़ा। पढ़ाई के दौरान उन्होंने ट्यूशन पढ़ाकर अपनी शिक्षा पूरी की ताकि संघर्ष की आदत बनी रहे। उन्होंने न सिर्फ डॉक्टर बने, बल्कि सिविल सेवा की परीक्षा भी पास की। पर आम लोगों की सेवा के उद्देश्य से उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र को ही चुना।
अंगदान को बनाया जीवन मिशन
प्रो. राजेश ने न सिर्फ लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित किया, बल्कि पूरे सिस्टम को पारदर्शी बनाने में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने SOTO की स्थापना का प्रस्ताव तैयार किया, जिससे अब मरीजों की वेटिंग लिस्ट से लेकर ट्रांसप्लांट सेंटर की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है।
उनका कहना है कि एक व्यक्ति के अंगदान से आठ लोगों की जान बचाई जा सकती है, जबकि ऊतक दान से 75 लोगों के जीवन में सुधार लाया जा सकता है। भारत में अंगों की भारी कमी है। जैसे, सालाना 25-30 हजार लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, लेकिन केवल 1,500 ही हो पाते हैं। इसी तरह लाखों लोग हृदय और किडनी फेल्योर से जूझते हैं, लेकिन ट्रांसप्लांट के सीमित अवसरों के कारण उनका जीवन संकट में पड़ जाता है।
पुरस्कारों से नवाजे गए
प्रो. राजेश को कायाकल्प योजना, आयुष्मान भारत, और चंद्रगुप्त युवा प्रशासक पुरस्कार सहित कई राष्ट्रीय स्तर के सम्मानों से नवाजा जा चुका है। वह न केवल चिकित्सा, बल्कि साहित्य में भी रुचि रखते हैं और कई कविताएं लिख चुके हैं। हिंदी भाषा पर उनकी पकड़ इतनी मजबूत है कि भारत सरकार के राजभाषा विभाग की ओर से उन्हें तीन बार सम्मानित किया गया है।
नए चिकित्सा अधीक्षक के रूप में प्रो. राजेश से SGPGI को न सिर्फ बेहतर चिकित्सा सेवाएं मिलने की उम्मीद है, बल्कि अंग प्रत्यारोपण की दिशा में प्रदेश ही नहीं, देश को भी नई दिशा मिलने की संभावना है।