बाराबंकी : 1500 बेसिक शिक्षकों की नौकरी पर संकट, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बढ़ी चिंता

बाराबंकी। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले ने जिले के करीब 1500 बेसिक शिक्षकों के भविष्य को असमंजस में डाल दिया है। ये सभी वे शिक्षक हैं, जिनकी नियुक्ति 29 जुलाई 2011 के बाद बिना टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास किए हुई थी और जिनकी सेवा अवधि अभी पांच साल से अधिक शेष है।

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में साफ किया है कि कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने के लिए टीईटी पास होना जरूरी है। यह नियम नई नियुक्ति और पदोन्नति दोनों पर लागू होगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जिन शिक्षकों की सेवा में पांच वर्ष से कम का समय शेष है, उन्हें टीईटी से छूट मिल सकती है, लेकिन जिनकी सेवा लंबी बची है या पदोन्नति चाहते हैं, उन्हें दो साल के भीतर टीईटी पास करना अनिवार्य होगा। ऐसा न होने पर सरकार उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे सकती है।

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हालांकि, बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष देव पांडेय का कहना है कि अभी जिला स्तर पर कोई आधिकारिक निर्देश नहीं मिला है। शासन से आदेश मिलने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी।

इस बीच, उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष अभिषेक सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जिले के लगभग 1500 शिक्षक इससे प्रभावित होंगे, जबकि वर्षों से सेवा दे रहे ये शिक्षक शिक्षा व्यवस्था को मजबूत कर चुके हैं।

शिक्षक संघ का कहना है कि यह फैसला न केवल शिक्षकों की सेवा शर्तों में बदलाव करेगा, बल्कि उनके भविष्य पर भी खतरा खड़ा कर देगा। पहले ही कई शिक्षक पुरानी पेंशन योजना से वंचित हैं और अब टीईटी की अनिवार्यता उनकी नौकरी पर संकट बनकर मंडरा रही है।

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