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बलिया में 'खेल' के नाम पर खेल : शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) के आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियां, डीआईओएस पर गंभीर आरोप

Ballia News : माध्यमिक शिक्षा निदेशक के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद बलिया में जिला क्रीड़ा समिति के गठन में लगातार तीसरे वर्ष नियमों की अनदेखी की गई। आरोप है कि समिति के गठन की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई और अधिकारियों द्वारा मनमानी करते हुए बिना किसी बैठक के पदाधिकारियों की नियुक्ति कर दी गई। इस मनमाने रवैये के खिलाफ जब कुछ सदस्यों ने सवाल उठाए तो बैठक की अध्यक्षता कर रहे जिला विद्यालय निरीक्षक (D.I.O.S.) देवेंद्र गुप्ता ने असहज प्रतिक्रिया देते हुए अमर्यादित व्यवहार किया।
मनमाने ढंग से किया गया समिति का गठन
सवाल पूछने पर असहज हुए डीआईओएस
बैठक में उपस्थित पदेन सदस्य एवं जिला व्यायाम शिक्षक विनोद कुमार सिंह ने जब समिति के गठन की प्रक्रिया और कोरम की वैधता पर सवाल उठाया, तो डीआईओएस असहज हो गए और बैठक स्थगित करने की बात कहने लगे। जब सदस्यों ने शासनादेशों का हवाला देते हुए स्पष्ट जवाब की मांग की, तो डीआईओएस ने जवाब देने के बजाय विनोद कुमार सिंह को ही बैठक से बाहर जाने का आदेश दे दिया।
एक ही विद्यालय से दो पदाधिकारी, पारदर्शिता पर सवाल
मामले को और गंभीर बनाता है यह तथ्य कि रामदहिन सिंह इंटर कॉलेज से ही सचिव और कोषाध्यक्ष दोनों पदों पर नियुक्ति कर दी गई। जब इसकी वैधता पर सवाल उठाया गया तो जवाब मिला कि "वित्तीय भुगतान में आसानी के लिए ऐसा किया गया है।" सवाल यह है कि क्या पूरे जनपद में कोई और योग्य विद्यालय या शिक्षक नहीं था? समिति जैसे संवेदनशील संगठन में ऐसे चयन पारदर्शिता की धज्जियां उड़ाते हैं।
लगातार तीन वर्षों से नियमविहीन गठन
गौर करने योग्य बात है कि पिछले तीन वर्षों से जिला क्रीड़ा समिति का गठन बिना किसी खुली बैठक और कोरम के किया जा रहा है। बंद कमरे में कुछ चुनिंदा लोगों की नियुक्तियों से न सिर्फ शासनादेशों की अनदेखी हो रही है, बल्कि विद्यालयी खेलों की विश्वसनीयता और निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। खिलाड़ियों के चयन, प्रतियोगिताओं के आयोजन और भुगतान की प्रक्रिया पहले से ही विवादों में रही है।
शिक्षा निदेशक के आदेशों की खुली अवहेलना
शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) द्वारा समिति गठन हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि समिति का गठन पूर्ण पारदर्शिता और कोरम की पूर्ति के साथ बैठक के माध्यम से हो, लेकिन बलिया में लगातार इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। इस वर्ष भी जब सदस्यों ने उक्त आदेशों की प्रति का हवाला देकर प्रक्रिया का पालन न होने पर आपत्ति जताई, तो अधिकारी तिलमिला उठे।