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Pradosh Vrat 2023: कई शुभ योग में रखा जाएगा भौम प्रदोष व्रत, जानें महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त
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Pradosh Vrat 2023: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है। भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए प्रदोष व्रत बहुत अच्छा माना जाता है। शास्त्रों में मंगलवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत शुभफलदायी माना गया है। इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत करने का विधान है।
शुभ मुहूर्त और शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग
12 सितंबर 2023 को सुबह 6 बजकर 4 मिनट से रात 8 बजकर 49 मिनट तक शिव योग - 12 सितंबर 2023 सुबह 12 बजदकर 14 मिनट से 13 सितंबर 2023 को सुबह 1 बजकर 1 मिनट से शिवजी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त- 12 सितंबर के शाम 6 बजकर 31 मिनट से रात 8 बजकर 48 मिनट तक पूजा विधिप्रदोष व्रत के नित्यकर्मों से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन उपवास के बाद शाम के समय फिर से स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करें। ईशान कोण में प्रदोष व्रत की पूजा के लिए स्थान का चुनाव करें। पूजा स्थल को गंगाजल या साफ जल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर मंडप तैयार कर लें। इस मंडप में पांच रंगों से कमल के फूल की आकृति बनाएं।
बाजार में कागज पर अलग-अलग रंगों से बनी कमल के फूल की आकृति भी ले सकते हैं। साथ में भगवान शिव की एक मूर्ति या तस्वीर भी रखिए। फिर पूजा की सारी सामग्री अपने पास रखकर कुश के आसन पर बैठकर, उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके शिव जी की पूजा करें। प्रदोष व्रत का महत्वमाना जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति भगवान भोलेनाथ की पूजा करता है और प्रदोष व्रत करता है उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। ऐसा कहा गया है कि इस व्रत को करने से व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होने के साथ ही कर्ज और दरिद्रता से भी मुक्ति मिलती है। (नोट: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। बलिया तक इसकी पुष्टि नहीं करता है।)