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त्रिपुर सुंदरी मंदिर : राष्ट्रीय महत्व का शक्ति पीठ, पीएम मोदी के विजन में आध्यात्मिक पर्यटन का केंद्र

नई दिल्ली, 22 सितंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा पर्यटन को विरासत और विकास के बीच सेतु के रूप में बताते आए हैं। उनके इसी विजन के तहत त्रिपुरा के गोमती जिले के उदयपुर स्थित त्रिपुर सुंदरी मंदिर का पुनर्विकास पूर्वोत्तर भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है। इसने त्रिपुरा को भारत के आध्यात्मिक पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान दिलाई है।
इस मंदिर का निर्माण महाराजा धन्य माणिक्य ने वर्ष 1501 में करवाया था। किंवदंती है कि उन्हें देवी ने स्वप्न में दर्शन देकर यहां पूजा आरंभ करने का आदेश दिया था। इसके बाद उन्होंने देवी की मूर्ति स्थापित की, जो आज भी विरासत और आस्था का केंद्र है।
मंदिर की एक खास विशेषता यह है कि यहां शक्ति के साथ भगवान विष्णु की पूजा शालग्राम शिला के रूप में की जाती है। यह संप्रदायिक समन्वय का अनूठा उदाहरण है। मंदिर का गर्भगृह चौकोर आकार का है, जो बंगाल की एक-रत्न शैली में निर्मित है और कछुए की आकृति जैसा दिखने के कारण इसे कूर्म पीठ भी कहा जाता है।
देवी की 5 फीट ऊंची प्रतिमा मुख्य आकर्षण है। इसके साथ एक छोटी प्रतिमा भी है, जिसे छोटो मां या देवी चंडी कहा जाता है। माना जाता है कि त्रिपुरा के राजा युद्ध और शिकार अभियानों में इसे अपने साथ ले जाते थे। परंपराओं में देवी को अर्पित लाल गुड़हल का फूल विशेष महत्व रखता है, जबकि माताबाड़ी पेड़ा यहां का लोकप्रिय प्रसाद है। हाल ही में इसे जीआई टैग भी मिला है।
हर साल यहां दीपावली मेला आयोजित होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं। यह आयोजन त्रिपुरा की बहु-सांस्कृतिक परंपरा को भी प्रदर्शित करता है।
मंदिर परिसर के पुनर्विकास के लिए भारत सरकार ने प्रसाद योजना के तहत 54.04 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत की है, जिसमें केंद्र का अंश 34.43 करोड़ और राज्य का योगदान 17.61 करोड़ रुपये है। इसके अंतर्गत संगमरमर फर्श, नए रास्ते, प्रवेश द्वार, जल निकासी व्यवस्था, ध्यान कक्ष, पेड़ा स्टॉल, अतिथि गृह और पेयजल जैसी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
वर्तमान में रोजाना लगभग 3,000 से 3,500 श्रद्धालु मंदिर आते हैं। परियोजना पूरी होने के बाद यह संख्या बढ़कर 5,000 से 7,000 प्रतिदिन तक पहुंचने की संभावना है। इससे स्थानीय होटल व्यवसाय, टैक्सी सेवा, हस्तशिल्प और गाइडों सहित हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
त्रिपुर सुंदरी मंदिर न केवल आध्यात्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के आध्यात्मिक पर्यटन विजन का सशक्त प्रतीक भी है, जो विरासत संरक्षण के साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई गति देने का काम कर रहा है।