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Lok Sabha Election 2024 : पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने थामा बीजेपी का दामन, कांग्रेस की बढ़ीं मुश्किलें!

Varanasi News : देश में लोकसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने बाकी हैं। इसे लेकर सभी राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता चुनावी तैयारी में जुट गए हैं। वहीं, कुछ नेता पाला बदलने में लगे हैं। इस बीच, वाराणसी लोकसभा सीट से कांग्रेस के पूर्व सांसद रहे राजेश मिश्रा ने भाजपा का दामन थाम लिया है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मिश्रा के भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने से कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है।
साल-2004 में वाराणसी से बने थे सांसद
कांग्रेस को जोर का झटका
कुछ दिनों से चर्चा हो रही थी कि डॉ. मिश्रा लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा फैसला ले सकते हैं। वे कांग्रेस से पाला बदलकर अखिलेश यादव की पार्टी सपा का दामन थाम सकते हैं। समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार होकर वह भदोही लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरकर ताल ठोक सकते हैं। चर्चा है कि यूपीसीसी के अध्यक्ष अजय राय और डॉ. मिश्रा के बीच रिश्ते काफी तल्ख थे। शायद इसीलिए डॉ. मिश्रा ने चुनाव से ठीक पहले पाला बदल लिया।
कांग्रेस पर तंज, पीएम की तारीफ
बीजेपी में शामिल होने के बाद राजेश मिश्रा ने कहा कि काशी के लिये गौरव की बात है कि पीएम नरेंद्र मोदी सांसद हैं। महाशिवरात्रि पर काशी बम-बम बोल रहा है। लोकसभा चुनाव में भी बम-बम बोलता रहेगा काशी। प्राथमिक सदस्यता ग्रहण करने के बाद विपक्ष पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि मेरी कोशिश होगी कि इस बार बनारस लोकसभा सीट पर विपक्ष के दल का जो प्रत्याशी होगा, उसको पोंलिग एजेंट नहीं मिलेगा। बीजेपी में सदस्यता ग्रहण करना मेरा लिए सार्थक होगा। ये सौभाग्य की बात है की नरेंद्र मोदी वाराणसी के सांसद हैं।
राहुल की न्याय यात्रा का कोई लाभ नहीं
राजेश मिश्रा ने कांग्रेस और सपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश से कांग्रेस का सफाया हो गया है। उन्होंने इंडिया गठबंधन पर सवालिया निशान उठाए और कहा कि कांग्रेस के पास कार्यकर्ता तक नहीं बचे हैं। इस समय कांग्रेस का हालत बहुत दयनीय है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से भी कोई लाभ नहीं होने वाला है।
कांग्रेस के पास उम्मीदवार नहीं
इंडिया अलायंस पर राजेश मिश्रा ने कहा कि यूपी में कांग्रेस ने सपा के सामने सरेंडर कर दिया। गठबंधन में कांग्रेस को जो सीट मिली है, वहां पार्टी के पास उम्मीदवार ही नहीं हैं। कई वरिष्ठ नेता पार्टी से नाराज हैं, जो अब ज्यादा दिनों के मेहमान नहीं हैं।
राजनीतिक सफर
वाराणसी की सियासत में राजेश मिश्र को काफी मृदुभाषी राजनेता माना जाता है। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से छात्र राजनीति के रास्ते सियासत का ककहरा पढ़ा। 80 के दशक में वह बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। साल 1996 से 2004 तक दो कार्यकाल के लिए वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे। साल 1999 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के शंकर प्रसाद जायसवाल के खिलाफ कांग्रेस ने उन्हें वाराणसी से अपना उम्मीदवार बनाया। हालांकि इस चुनाव में वह हार गए। 2004 में राजेश मिश्र ने जायसवाल से अपनी हार का बदला ले लिया। लोकसभा चुनाव में उन्होंने एसपी जायसवाल को शिकस्त दी। हालांकि साल-2009 में लगातार तीसरी बार कांग्रेस ने राजेश मिश्र पर भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दिया। इस चुनाव में बीजेपी से डॉ. मुरली मनोहर जोशी और बीएसपी से मुख्तार अंसारी मैदान में थे। बीजेपी से बगावत करने के बाद अजय राय एसपी के टिकट पर चुनाव में उतरे। माना जाता है कि इस चुनाव में वोटों के ध्रुवीकरण की वजह से राजेश मिश्र खिसककर चौथे नंबर पर चले गए। जोशी विजयी हुये थे। साल 2017 यूपी विधानसभा चुनाव में नीलकंठ तिवारी को बीजेपी ने मैदान में उतारा और कांग्रेस ने राजेश मिश्र को उनके खिलाफ मौका दिया। नीलकंठ तिवारी ने राजेश मिश्र को मात दे दी। साल 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस ने राजेश मिश्र को उन्हें गृहक्षेत्र देवरिया जिले की सलमेपुर सीट से उतारा। लेकिन, महज 27 हजार 288 वोटों के साथ उनकी जमानत जब्त हो गई।