UP News: प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति पर हाईकोर्ट सख्त, कहा– डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम तुरंत लागू करें

इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार, मुख्य सचिव, एसीएस बेसिक शिक्षा सहित संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि शिक्षकों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जाए ताकि बच्चों के शिक्षा के मौलिक अधिकारों का हनन न हो।

यह आदेश न्यायमूर्ति पी.के. गिरि ने बांदा की अध्यापिका इंदिरा देवी की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को तय की है।

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कोर्ट ने क्या कहा

हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि सरकार को स्कूलों में शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस प्रणाली तुरंत लागू करनी चाहिए। साथ ही जिला और ब्लॉक स्तर पर एक टास्क फोर्स गठित करने के निर्देश दिए, जो शिक्षकों की उपस्थिति की नियमित निगरानी कर सके। कोर्ट ने बांदा के डीएम और बीएसए से उनके जिले की रिपोर्ट भी तलब की है।

कोर्ट ने कहा कि सरकार ने डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम लागू करने की बात कही थी, लेकिन उसका प्रभाव जमीनी स्तर पर नहीं दिख रहा।

कोर्ट ने दी गुरु के महत्व की सीख

न्यायमूर्ति गिरि ने कहा, “अध्यापक गुरु है, जो परम ब्रह्म के समान है।” उन्होंने श्लोक उद्धृत किया ‘गुरुर ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः, गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः।’

मामला क्या है

याचिकाकर्ता इंदिरा देवी बांदा जिले के कंपोजिट स्कूल तिंदवारी में कार्यरत हैं। बीएसए ने 30 अगस्त को उनकी स्कूल से अनुपस्थिति पर कार्रवाई के आदेश जारी किए थे, जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी। आरोप है कि डीएम निरीक्षण के दौरान वह स्कूल में मौजूद नहीं थीं और हस्ताक्षर करने के बाद चली गई थीं।

कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों की अनुपस्थिति से बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। खासकर गरीब तबके के बच्चे निजी ट्यूशन का खर्च नहीं उठा सकते, ऐसे में अध्यापकों की गैरहाजिरी उनके भविष्य पर नकारात्मक असर डालती है।

हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि शिक्षक स्कूलों में उपस्थित रहें, यही बच्चों की शिक्षा और देश के भविष्य की बुनियाद है।

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