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मैनपुरी: गलत इंजेक्शन से छात्रा की मौत, बाइक पर भेजा शव, वीडियो वायरल होने पर अस्पताल सील, लाइसेंस निलंबित

Mainpuri News: उत्तर प्रदेश में मैनपुरी जिले से सामने आए एक वीडियो ने जहां एक तरफ इंसानियत को शर्मशार कर दिया. वहीं दूसरी तरफ समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर लोग रुपए के लिए कहां तक गिर सकते हैं. जो वीडियो सामने आया उसमें एक परिवार के लोग प्राइवेट अस्पताल के बाहर 17 साल की छात्रा का शव बाइक पर रख रहे हैं. और रोते भी जा रहे हैं. बताया गया कि गलत इंजेक्शन लगाने की वजह से छात्रा की मौत हो गई थी. इसके बाद अस्पताल के स्टाफ ने छात्रा के शव को अस्पताल से बाहर फेंक दिया और परिजनों को भगा दिया. इस वीडियो का संज्ञान लेकर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कार्रवाई के निर्देश दिए. इसके बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अस्पताल का लाइसेंस निरस्त करके हुए उसे सील कर दिया है. इसके साथ ही डॉक्टर और संचालकों को तीन दिन के भीतर जरूरी दस्तावेजों समेत हाजिर होने को कहा है.
मनीषा ने बताया की भतीजी की मौत होने के बाद अस्पताल के स्टाफ ने उसके शव को अस्पताल के बाहर फेंक दिया. हमने जब शव वाहन के लिए अस्पताल के डॉक्टर से कहा तो डॉक्टर बोला कि इसे यहां से ले जाओ. इसके बाद हमने अपनी भतीजी के शव को बाइक पर रख लिया.
मैनपुरी में गलत इंजेक्शन लगाने की वजह से छात्रा की मौत हो गई. इसके बाद अस्पताल के स्टाफ ने छात्रा के शव को अस्पताल से बाहर फेंक दिया और परिजनों को भगा दिया
— sanjay singh (@sanjay_media) September 29, 2023
#Mainpuri #viralvideo pic.twitter.com/p9wSzylhFA
मौके पर मौजूद किसी शख्स ने अस्पताल डॉक्टर और स्टाफ की इस संवेदनहीनता का वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. घटना के बाद अस्पताल से बाहर निकले डॉक्टर से जब भारती के परिजनों ने बात करने की कोशिश की तो डॉक्टर हंगामा बढ़ते देख वहां से फरार हो गया. इसके बाद रोते बिलखते घर वालों ने निजी वाहन बुलाकर शव को उसमें रखवाया और घर ले गए.
इस घटना का हृदय विदारक वीडियो किसी ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट कर दिया. इसके बाद डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने इस वीडियो का संज्ञान लिया और मामले पर कार्रवाई के निर्देश दिए.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसी गुप्ता ने बताया कि उन्हें मीडिया से इसकी जानकारी हुई थी. इसके बाद उन्होंने नोडल झोला छाप डॉक्टर अजय कुमार को मौके पर भेजा. वहां अस्पताल संचालक और कोई चिकित्सक नहीं मिला. अस्पताल में एक मरीज मिला था जिनका ऑपरेशन हुआ था उसको नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया दिया गया. हॉस्पिटल को सील कर दिया गया है. हॉस्पिटल रजिस्टर्ड था और डॉक्टर की डिग्री लगी हुई थी. लेकिन, अस्पताल संचालक कोई डॉक्टर नहीं था इसलिए लाइसेंस निरस्त कर दिया गया. उन्हें दिन में संबंधित अस्पताल और संबंधित इलाज के प्रपत्र लाने के लिए निर्देशित किया गया है.