Lucknow News: पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर औद्योगिक अशांति फैलाने का आरोप

लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर आज पूरे प्रदेश के जनपदों और परियोजना मुख्यालयों पर बिजली कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा। संघर्ष समिति ने पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का माहौल पैदा करने का आरोप लगाते हुए मांग की है कि हटाए गए सभी संविदा कर्मचारियों को तत्काल बहाल किया जाए और हटाने के आदेश को निरस्त किया जाए।

संघर्ष समिति का आरोप और मांगें

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेंद्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेंद्र राय, पी.के. दीक्षित, सुहैल आबिद, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर.वाई. शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पांडेय, आर.बी. सिंह, राम कृपाल यादव, राम निवास त्यागी ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण से पहले संविदा कर्मियों को हटाना, भय का वातावरण पैदा कर रहा है, जो ऊर्जा निगमों की कार्यप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।

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निजीकरण के बाद कर्मचारियों पर असर

उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि दिल्ली में एक साल के अंदर 50 प्रतिशत कर्मचारियों को वीआरएस (वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम) लेने के लिए मजबूर किया गया था। इसी तरह, चंडीगढ़ में 200 से अधिक बिजली कर्मियों को निजीकरण से पहले वीआरएस लेने के लिए बाध्य किया गया था। यह संख्या कुल कर्मचारियों की आधी से अधिक थी।

संघर्ष समिति ने चेतावनी दी कि उत्तर प्रदेश में भी इसी पैटर्न पर निजीकरण से पहले संविदा कर्मियों को बड़े पैमाने पर हटाया जा रहा है। उन्हें डर है कि जैसे ही निजीकरण होगा, नियमित कर्मचारियों को भी या तो हटाया जाएगा या फिर वीआरएस लेने के लिए मजबूर किया जाएगा।

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