महिला सशक्तिकरण की मिसाल: ब्यूटी पार्लर छोड़ा, दालमोठ को चुना और सफलता ने चूमे काजल के कदम

लखनऊ। अगर इरादे मजबूत हों और हौसला बुलंद हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है लखनऊ की काजल तलरेजा ने, जिन्होंने अपने संघर्ष और मेहनत से बंद हो चुके पति के व्यवसाय को न केवल दोबारा शुरू किया, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया। आज वह कई लोगों को रोजगार देकर महिला सशक्तिकरण की एक प्रेरणादायक मिसाल बन चुकी हैं।

पति के व्यवसाय को दिया नया जीवन

आलमबाग स्थित नटखेड़ा रोड पर काजल तलरेजा की दालमोठ की दुकान है, जिसे पहले उनके पति चलाते थे। आर्थिक तंगी और समय की मार ने व्यवसाय को लगभग बंद करवा दिया था। लेकिन पांच साल पहले काजल ने खुद मोर्चा संभाला और लगातार मेहनत से इसे सफल बना दिया। आज उनका कारोबार न केवल फल-फूल रहा है बल्कि कई लोगों की रोज़ी-रोटी का जरिया भी बन चुका है।

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ब्यूटी पार्लर से नमकीन के सफर तक

काजल ने फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद बुटीक और ब्यूटी पार्लर शुरू किया था, जो ठीक-ठाक चल रहा था। लेकिन जब पति का कारोबार डूबने लगा और वे मानसिक तनाव में आ गए, तब काजल ने हिम्मत दिखाई और अपना व्यवसाय छोड़ पति का साथ देने का फैसला किया। उन्होंने दालमोठ के स्वाद में ऐसा नयापन और गुणवत्ता जोड़ी कि लोग खुद-ब-खुद उनकी दुकान से जुड़ने लगे।

हर चुनौती का डटकर किया सामना

काजल बताती हैं कि शुरुआती दौर में बाजार में प्रतिस्पर्धा और मूल्य निर्धारण सबसे बड़ी चुनौती थी। लेकिन उन्होंने गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया और उचित दामों में बेहतर नमकीन उपलब्ध कराई। परिणामस्वरूप, छोटे दुकानदार और ग्राहक लगातार जुड़ते गए और आज उनकी दुकान पर हमेशा भीड़ रहती है।

शहर से गांव तक फैला कारोबार

आज उनकी दालमोठ लखनऊ शहर से लेकर आस-पास के गांवों तक जाती है। इसके लिए उन्होंने एक सप्लाई नेटवर्क खड़ा किया है, जहां लड़के ठेलों और दुकानों तक दालमोठ पहुंचाते हैं। साथ ही, कई महिलाएं भी उनके साथ जुड़ी हैं, जो पहले घर में खाली बैठती थीं, लेकिन अब आत्मनिर्भर बन चुकी हैं।

150 से 300 रुपये किलो तक, व्रत स्पेशल भी उपलब्ध

काजल की दालमोठ न सिर्फ स्वादिष्ट है बल्कि किफायती भी। यह 150 रुपये प्रति किलो से लेकर 300 रुपये किलो तक उपलब्ध है। खास बात यह है कि व्रत में खाई जाने वाली फलाहारी दालमोठ भी उनके यहां मिलती है, जो काफी पसंद की जा रही है।

काजल तलरेजा की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो खुद में बदलाव लाकर न केवल अपने परिवार को, बल्कि समाज को भी नई दिशा दे सकती हैं।

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