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बलिया में विद्यालयी खेलों से खिलवाड़ : संसाधनों की कमी से रद्द हुईं तैराकी और कराते प्रतियोगिताएं, अव्यवस्था के शिकार हुए खिलाड़ी

बलिया : जनपद बलिया में विद्यालयी खेलों की बदहाली इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। पहले से ही जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा बंद कमरे में जिला विद्यालयी क्रीड़ा समिति के गठन को लेकर उठे विवाद के बीच अब जनपदीय खेल कैलेंडर में भारी अनियमितता और पक्षपात का आरोप सामने आ रहा है।
तैराकी प्रतियोगिता में एक भी प्रतिभागी नहीं
कराते प्रतियोगिता भी अव्यवस्था की भेंट चढ़ी
शनिवार को होने वाली विद्यालयी कराते प्रतियोगिता भी संसाधनों और निर्णायकों की अनुपलब्धता के कारण निरस्त करनी पड़ी। कंपोजिट विद्यालय रामपुर (चिलकहर) को इस आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने पहले ही आयोजन में असमर्थता जताते हुए कहा कि उन्हें विभागीय अधिकारियों से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिला और उनके पास आयोजन हेतु जरूरी संसाधन भी नहीं हैं।
बिना तैयारी स्टेडियम बुलाए गए खिलाड़ी
इसके बावजूद खिलाड़ियों को वीर लोरिक स्टेडियम बुला लिया गया, जहां न तो कराते प्रतियोगिता के लिए मैट उपलब्ध था और न ही कोई क्वालिफाइड निर्णायक मंडल मौजूद था। नतीजतन, प्रतियोगिता निरस्त हो गई और खिलाड़ी निराश होकर वापस लौटने को मजबूर हुए।
गंभीर प्रश्नों के घेरे में क्रीड़ा समिति
सवाल यह उठता है कि आखिर जनपदीय क्रीड़ा समिति ने बिना उचित सहमति और तैयारी के प्रतियोगिता का आयोजन कैसे निर्धारित कर दिया? इसके अलावा यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या जनपदीय क्रीड़ा कैलेंडर बिना किसी आधिकारिक बैठक के जारी कर दिया गया है?
पत्राचार में भी गलती
25 जुलाई को जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में आयोजित बैठक को कोरम के अभाव में स्थगित कर दिया गया था। इसके बावजूद बिना बैठक के कैलेंडर जारी किया जाना, और अब प्रतियोगिता से जुड़ी चूकें यह दर्शाती हैं कि क्रीड़ा सचिव दिनेश प्रसाद लगातार एक के बाद एक गलतियां कर रहे हैं। हाल में वायरल हुए एक पत्र में उन्होंने कराते प्रतियोगिता के लिए जिला कराते संघ से मैट और निर्णायकों की मांग की, लेकिन प्रतिलिपि जिला विद्यालय निरीक्षक या बीएसए के बजाय जिला ओलंपिक संघ को भेजी, जो प्रक्रियात्मक और शिष्टाचारिक रूप से गंभीर भूल मानी जा रही है।
इन तमाम घटनाक्रमों ने साफ कर दिया है कि विद्यालयी खेलों की व्यवस्था इस समय अव्यवस्था, लापरवाही और गैर-पेशेवर रवैये की शिकार हो चुकी है। नतीजा यह है कि जनपद के उभरते खिलाड़ी ना तो प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले पा रहे हैं, और ना ही उन्हें उचित मंच मिल पा रहा है। अगर यही स्थिति रही, तो बलिया के नौनिहालों का खेल भविष्य अंधकारमय होता चला जाएगा।