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Cybercrime Alert: यूपी में हर घंटे 250 लोग बन रहे साइबर ठगी के शिकार, बदला अपराध का तरीका

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में साइबर अपराधियों का जाल इतना फैल गया है कि हर घंटे करीब 250 लोग इनके शिकार बन रहे हैं। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के आंकड़ों के मुताबिक, साइबर ठगी के मामलों में उत्तर प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है, जबकि पहले स्थान पर महाराष्ट्र और तीसरे पर कर्नाटक है।
ग्रामीण और शहरी दोनों इलाके निशाने पर
पहले जहां नोएडा और मथुरा को ही साइबर क्राइम के केंद्र के रूप में देखा जाता था, वहीं अब लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज जैसे प्रमुख शहरों में भी साइबर अपराध तेजी से बढ़ा है। इसके साथ ही गोरखपुर, जौनपुर, कुशीनगर, मऊ, मिर्जापुर, अयोध्या, आगरा, बस्ती और कानपुर देहात जैसे जिले भी साइबर ठगी के दायरे में आ चुके हैं।
पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में 66,854 साइबर क्राइम केस दर्ज हुए थे। वहीं सिर्फ 2025 के पहले छह महीनों में यह आंकड़ा बढ़कर 1.19 लाख शिकायतों तक पहुंच गया है—जो पिछले साल के मुकाबले लगभग दोगुनी बढ़ोतरी को दर्शाता है।
अपराधियों ने बदले ठगी के तरीके
साइबर ठग लगातार नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। इनमें डिजिटल अरेस्ट स्कैम सबसे खतरनाक बनकर उभरा है, जिसमें अपराधी खुद को पुलिस, CBI या IB अधिकारी बताकर लोगों से लाखों-करोड़ों की ठगी कर रहे हैं।
इसके अलावा बढ़ते फ्रॉड के प्रमुख तरीकों में शामिल हैं
UPI फ्रॉड (नकली QR कोड, कलेक्ट रिक्वेस्ट, स्क्रीन-शेयरिंग ऐप्स)
फर्जी जॉब ऑफर
गेमिंग ऐप ठगी
OLX व ग्राहक सेवा केंद्र के नाम पर फ्रॉड
फिशिंग लिंक, फर्जी डिलीवरी मैसेज, नकली बैंकिंग अलर्ट
विदेशी कनेक्शन और पुलिस की चेतावनी
साइबर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर बृजेश कुमार यादव के अनुसार, साइबर अपराधियों के तरीके लगातार बदल रहे हैं। पुलिस ने भी तकनीक के इस्तेमाल से कई बड़े गिरोहों का भंडाफोड़ किया है, जिनके तार विदेशों में बैठे अपराधियों से जुड़े हैं।
उन्होंने जनता से अपील की है “किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें, कोई भी गोपनीय जानकारी—जैसे OTP, पासवर्ड या बैंक डिटेल—किसी से साझा न करें। ठगी की कोई भी आशंका हो, तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें या https://www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।”
उत्तर प्रदेश में साइबर सुरक्षा को लेकर अब जागरूकता बढ़ाने की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक हो गई है। जनता को सतर्क रहना होगा, क्योंकि अब ठगी सिर्फ फोन तक सीमित नहीं—बल्कि हमारी हर ऑनलाइन गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।