क्रांतिकारी विचारों के संवाहक रहे नवल जी : डॉ. जनार्दन राय

बलिया में नवल जी की 97वीं जयंती पर हुआ भव्य आयोजन, कवियों ने दी श्रद्धांजलि

बलिया। हिंदी साहित्य और समाजवादी विचारधारा के सजग प्रहरी पं. रमाशंकर पांडेय 'नवल' जी की 97वीं जयंती बलिया हिंदी प्रचारिणी सभा के चलता पुस्तकालय सभागार में सादर और भावपूर्ण वातावरण में मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पण के साथ हुई, जिसमें अध्यक्ष सहित परिवारजन शामिल हुए।

कार्यक्रम में रसराज ने ‘वंदन तेरे चरण कमल का, हे वीणा वरदायिनी’ प्रस्तुत कर वातावरण को भावविभोर कर दिया। वाणी वंदना काशी ठाकुर द्वारा की गई।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जनार्दन राय ने कहा, “नवल जी आजीवन क्रांतिकारी विचारधारा के पोषक रहे। उनकी लेखनी ने देशभक्त क्रांतिकारियों को सदैव शब्दों में जीवित रखा। वे भारतीय साहित्य के अमूल्य अध्येता थे, जिन्हें आने वाली पीढ़ियां सम्मान और श्रद्धा से याद करेंगी।”

महर्षि अशोक ने नवल जी के साहित्य को क्रांतिकारी, समाजवादी और लोकतांत्रिक मूल्यों से परिपूर्ण बताया। स्वतंत्रता सेनानी पं. रामविचार पांडेय ने उनके संघर्षपूर्ण जीवन को याद करते हुए कहा कि वे निष्कलंक और निर्भीक व्यक्तित्व के धनी थे, जो किसी भी तरह की गलती को बर्दाश्त नहीं करते थे।

प्रो. प्रमोद शंकर पांडेय ने कहा कि नवल जी का साहित्य भारतीय समाज के विविध पहलुओं को दर्शाते हुए सद्मार्ग की प्रेरणा देता है।

काव्य गोष्ठी की शुरुआत डॉ. कादंबिनी की ग़ज़ल से हुई। इसके बाद शशि प्रेम देव, मोहन सत्यांश, श्वेतांक सिंह, राजेंद्र भारती, डॉ. विश्राम यादव, सुदर्शन राय, रामभरोसे जी, फतेहचंद 'बेचैन', शिवजी पांडेय 'रसराज', रामसकल गिरि, संजय सिंह, श्वेता पांडेय, प्रेमशंकर पांडेय, सुशीला पाल, सत्यप्रकाश दूबे, दिव्य धंगर सहित अन्य कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से नवल जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

अंत में पं. भोला नाथ मिश्र ने सभी का आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजेंद्र भारती ने किया।

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