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अयोध्या: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया दक्षिण भारतीय महापुरुषों की प्रतिमाओं का लोकार्पण, बोलीं — ‘दक्षिण भारत के हर घर में राम बसते हैं’

अयोध्या। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को अयोध्या के हृदय स्थल वृहस्पति कुंड में दक्षिण भारतीय संत-संगीतज्ञ पुरंदर दास, त्यागराज और अरुणाचल कवि की प्रतिमाओं का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे।
लोकार्पण समारोह में बड़ी संख्या में दक्षिण भारतीय श्रद्धालु, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा और राममंदिर निर्माण कार्य के प्रभारी गोपाल राव उपस्थित रहे। इस अवसर पर आयोजित ‘सत्संग समर्पण कार्यक्रम’ में दक्षिण भारतीय संगीतज्ञों ने प्रभु श्रीराम को समर्पित भक्ति संगीत की प्रस्तुतियाँ दीं।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक संबंध प्राचीन काल से हैं, और यह आयोजन उसी एकता की भावना को सशक्त करता है।
‘राम दक्षिण भारत की आत्मा में रचे-बसे हैं’ — निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि दक्षिण भारत के हर घर में प्रभु श्रीराम की उपस्थिति जीवंत है। उन्होंने बताया कि “केरल में आषाढ़ माह के दौरान हर घर में परिवारजन वाल्मीकि रामायण का पाठ करते हैं।”
सीतारमण ने कहा कि “महासंत पुरंदर दास, स्वामी त्यागराज और अरुणाचल कवि का पूरा जीवन प्रभु श्रीराम की भक्ति को समर्पित रहा। उन्होंने संगीत और भक्ति के माध्यम से दक्षिण भारत में राम के प्रति आस्था को अमर बना दिया।”
उन्होंने आगे कहा कि खंभ रामायणम और मोल्ला रामायणम जैसे ग्रंथ इस बात का प्रमाण हैं कि रामायण की परंपरा दक्षिण भारत की संस्कृति में गहराई से समाई हुई है।
‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की मिसाल — योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत श्रेष्ठ भारत” के विजन का सजीव उदाहरण है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने काशी तमिल संगमम के जरिए उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृति को जोड़ने का कार्य किया। अयोध्या में दक्षिण भारतीय संतों की प्रतिमाओं की स्थापना उसी भावना को आगे बढ़ाती है।”
योगी ने कहा कि “प्रभु श्रीराम के चरणों में दक्षिण भारतीय महापुरुषों की प्रतिमाओं की स्थापना, रामभक्ति और राष्ट्र एकता का अद्भुत प्रतीक है।”
इस आयोजन ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि राम केवल उत्तर भारत के नहीं, बल्कि पूरे भारत की आत्मा में बसते हैं — उत्तर से दक्षिण तक, हर दिल में राम हैं।