बलिया फोक फेस्टिवल में कलाकारों ने बिखेरा हुनर का जलवा, भोजपुरी गीतों ने घोली मिठास

Ballia News : बांसडीह तहसील क्षेत्र के मैरीटार चौराहा पर रविवार की सायं लोकरस संस्थान की ओर से आयोजित बलिया फोक फेस्टिवल  में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये कलाकार, साहित्यकार और रचनाकारों ने अपनी कला का फेस्टिवल में प्रर्दशन किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पं राम प्रकाश मिश्र, विशिष्ट अतिथि राज्य महिला आयोग की सदस्य सुनीता श्रीवास्तव व अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार मनोज भावुक ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

 

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कार्यक्रम तीन सत्र सम्मान समारोह, साहित्यिक सत्र और सांस्कृतिक सत्र में विभाजित रहा। साहित्यिक सत्र में पवन अर्पित, हृदयानंद विशाल और मनोज भावुक का सम्मोहक काव्य-पाठ हुआ। संचालन मुक्तेश्वर परासर ने किया। सांस्कृतिक सत्र में रिंकी पांडेय, शिखा गुप्ता, शाम्भवी उपाध्याय, वैष्णवी राय, रानी वर्मा, आशीष दुबे और पलक ने लोकगीतों की शानदार प्रस्तुति दी। हरि सूरदास ने तो मनोज भावुक के गीत 'तोर बउरहवा रे माई की' अद्भुत प्रस्तुति से सबको रूला दिया। कार्यक्रम का समापन हुड़का नृत्य से हुआ। आयोजन शैलेन्द्र मिश्र ने अतिथियों व कलाकारों  को अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।  कार्यक्रम में आधी रात तक दर्शकों से पंडाल भरा रहा।

 

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फोक फेस्टिवल में भोजपुरी ने घोली मिठास
"लोकरस   संस्थान " की ओर से  आयोजित बलिया फोक फेस्टिवल में  दिल्ली, पटना, आरा से पहुंचे कवियों व कलाकारों ने भोजपुरी भाषा में जलवा बिखेरा तो वहीं बलिया के गायक कलाकारों ने भोजपुरी गीत प्रस्तुत किया। "लोकरस संस्थान " के अध्यक्ष व कार्यक्रम के संयोजक शैलेन्द्र मिश्र ने बताया कि  लोक उत्सव हमारी भोजपुरी सांस्कृतिक की पहचान है। यह पहली बार आयोजित हुआ। अगले वर्ष से दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा।

 

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शैलेन्द्र मिश्र ने कहा कि कार्यक्रम सरकार की मंशा के अनुसार नारी शक्ति को बढ़ावा देना भी उद्देश्य है। समाज में अश्लील गीत व कविता  की प्रस्तुति से कोसों दूर रहते हुए अच्छा काम किया जाय, यही सोच है।  दिल्ली से आये कवि साहित्यकार मनोज भावुक ने नारी शक्ति पर कविता मंच से सुनाया। मऊ के कवि  साहित्यकार मुक्तेश्वर परासर ने न केवल अपना कविता सुनाया बल्कि मंच का संचालन भी किया। आरा निवासी पवन अर्पित ने श्रीराम से जोड़कर कविता सुनाया। हास्य कवि हृदयानंद विशाल हंसाते रह गए। लोक गायिका पटना की रिंकी पांडेय मंच सांझा कते हुए गीत प्रस्तुत किया। 

गाजीपुर की शांभवी उपाध्याय, बलिया से वैष्णवी राय, पलक खरे, रानी वर्मा के गीतों पर दर्शकों ने खूब बजी तालियां बजायी। गांव के कला, साहित्य उत्सव में भोजपुरी  कार्यक्रम में बच्चियों ने भी खूब जलवा दिखाया। भोजपुरी में गीत गाते हुए कम उम्र की बच्चियों के अंदाज ही अलग थे। गायकों के गीत धुन पर तबला साधक नन्हे कलाकार सुधांशु पांडेय ने थाप लगाते हुए लोगों को देखने पर मजबूर किया।

 

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इनकी रही विशेष उपस्थिति
कार्यक्रम में विधायक प्रतिनिधि शांत स्वरूप सिंह गुड्डू, कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह, नपं रेवती प्रतिनिधि कनक पांडेय थे। लोकरस संस्थान के संयोजक व अध्यक्ष शैलेन्द्र मिश्र, सत्येंद्र पाण्डेय, आशुतोष यादव, साहित्य प्रकोष्ठ प्रभारी मुकेश चंचल ने आभार व्यक्त किया।

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