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पोर्ट बना वैश्विक प्रतिस्पर्धा का चेहरा, ‘इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी’ से बदलेगा भारत का भविष्य

भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर आज तेज़ी से रूपांतरित हो रहा है। इस बदलाव की धुरी है ‘इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी (आईटीयू)’ मॉडल, जो पोर्ट, रेल, सड़क, हवाई मार्ग और लॉजिस्टिक्स सेवाओं को एक ही प्लेटफॉर्म पर जोड़कर माल और यात्रियों की आवाजाही को पहले से कहीं अधिक तेज़, किफायती और कुशल बना रहा है। इस दिशा में अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (APSEZ) की पहल भारत को न सिर्फ आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि देश के पोर्ट्स को दुनिया के सबसे बड़े और व्यस्त बंदरगाहों के बराबर खड़ा कर रही है।
क्या है आईटीयू मॉडल?
अदाणी पोर्ट्स: भारत का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक्स नेटवर्क
- अदाणी पोर्ट्स ने अपने देशव्यापी पोर्ट नेटवर्क को आईटीयू मॉडल से जोड़कर एक नई मिसाल कायम की है।
- मुंद्रा पोर्ट (12,500+ हेक्टेयर): 64 किमी लंबा डबल ट्रैक इलेक्ट्रिफाइड रेलवे, दो स्टेट हाईवे से सीधा जुड़ाव और 1900 मीटर का एयरस्ट्रिप।
- धामरा पोर्ट (2000+ हेक्टेयर): 62.5 किमी की भारत की सबसे लंबी इलेक्ट्रिफाइड रेल लाइन और NH-16 से कनेक्टिविटी।
- कृष्णपट्टनम पोर्ट (2750+ हेक्टेयर): 23 किमी चार लेन रोड और रेलवे नेटवर्क से सीधा जुड़ाव।
- गंगावरम पोर्ट (1000+ हेक्टेयर): NH-5 से जुड़ा 3.8 किमी एक्सप्रेसवे और ट्विन रेलवे लाइन से कनेक्टिविटी।
इन पोर्ट्स पर अत्याधुनिक डिजिटल तकनीक जैसे रियल टाइम रेक ट्रैकिंग, ऑटोमेटेड कंटेनर मैनेजमेंट सिस्टम (TOS), ट्रक मैनेजमेंट और पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे संचालन लगभग पूरी तरह ऑटोमेटेड हो गया है।
वर्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी और मरीन क्षमता
एपीएसईजेड लगातार तकनीकी निवेश कर रहा है। 2022 में ‘ओशन स्पार्कल’ और 2024 में ‘एस्ट्रो ऑफशोर’ जैसी कंपनियों का अधिग्रहण कर अदाणी ने अपनी थर्ड-पार्टी मरीन फ्लीट को 118 जहाजों तक बढ़ा दिया है—जो भारत में किसी भी निजी कंपनी के पास सबसे बड़ी क्षमता है।
जहां सरकारी पोर्ट्स (जैसे जेएनपीटी, पारादीप) और अन्य निजी ऑपरेटर्स (जैसे डीपी वर्ल्ड) भी आईटीयू की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं अदाणी का स्केल, स्पीड और टेक्नोलॉजी एडॉप्शन उसे उनसे आगे खड़ा करता है। उदाहरण के लिए, जेएनपीटी जैसे पोर्ट्स अभी भी कंटेनर ट्रैकिंग और इंटीग्रेटेड डेटा सिस्टम जैसी चुनौतियों से जूझ रहे हैं, जबकि अदाणी के पोर्ट्स पर स्मार्ट गेट मैनेजमेंट और एंड-टू-एंड डिजिटल ऑटोमेशन लागू हो चुका है।
भारत बनाम दुनिया: बराबरी की चुनौती
- आज भारतीय पोर्ट्स, विशेषकर अदाणी पोर्ट्स, दुनिया के बड़े पोर्ट्स – शंघाई, सिंगापुर और रॉटरडैम – से कई मोर्चों पर टक्कर लेने लगे हैं।
- टर्नअराउंड टाइम: कंटेनर की लोडिंग-अनलोडिंग की रफ्तार में बड़ा सुधार।
- सस्टेनेबिलिटी: इलेक्ट्रिफाइड रेल और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी से कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी।
- डिजिटल एडवांटेज: ट्रैकिंग, कस्टम क्लियरेंस और डॉक्यूमेंटेशन पूरी तरह ऑटोमेटेड।
चुनौतियां और संभावनाएं
बेशक, भूमि अधिग्रहण, मंत्रालयों के बीच तालमेल और कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर गैप अभी भी मौजूद हैं। लेकिन पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल और नीतिगत सहयोग से इन चुनौतियों को दूर किया जा सकता है।
भारत के पोर्ट्स का यह बदलता चेहरा न केवल घरेलू व्यापार और निर्यात को नई गति देगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत को “लॉजिस्टिक्स हब” बनाने की दिशा में निर्णायक कदम साबित होगा।