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दिल्ली की 14 कैग रिपोर्ट की पीएसी से जांच की मांग, कांग्रेस बोली—शराब नीति में भाजपा की भूमिका के सबूत

नई दिल्ली। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के कार्यकाल के दौरान कैग (CAG) की सभी 14 रिपोर्टों की लोक लेखा समिति (PAC) से जांच कराने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि अगर जांच सही तरीके से हो, तो लूट में शामिल लोगों को सजा मिल सकेगी। इसके लिए कांग्रेस ने जल्द पीएसी के गठन की मांग की है।
उन्होंने पूछा कि विधानसभा में शराब नीति से जुड़ी सभी 14 रिपोर्टें पेश क्यों नहीं की गईं? आमतौर पर पीएसी की अध्यक्षता विपक्ष के नेता करते हैं, लेकिन दिल्ली में सरकार ही इसका नेतृत्व करती है। कांग्रेस की मांग है कि इन रिपोर्टों को सार्वजनिक चर्चा के लिए लाया जाए।
कैग रिपोर्ट में शराब नीति में गड़बड़ियों का खुलासा
वरिष्ठ कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि कैग रिपोर्ट में साफ लिखा है कि दिल्ली सरकार की शराब नीति का उद्देश्य बार-बार बदला गया। पहले इसमें 70 संस्थाओं को शामिल किया गया था, लेकिन इसे घटाकर 14 कर दिया गया। शराब नीति सरकार और ठेकेदारों के बीच बने संबंधों और निजी हितों के आधार पर बनाई गई।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एक निश्चित स्तर के बाद शराब पर एक्साइज टैक्स नहीं वसूला गया, जिससे साफ है कि सरकार ने 30-40% कर चोरी को कानूनी बना दिया।
भाजपा सरकार ने पेश की कैग रिपोर्ट, पीएसी को सौंपी जांच
दिल्ली की नवनिर्वाचित भाजपा सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में कैग की एक रिपोर्ट पेश की, जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने जांच के लिए पीएसी को भेजने की घोषणा की।
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 2020-21 में शराब ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए तत्कालीन अरविंद केजरीवाल सरकार ने नियमों की अनदेखी की, जिससे सरकारी खजाने को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
कांग्रेस का कहना है कि इस घोटाले में भाजपा की भी भूमिका रही है, इसलिए पूरी 14 कैग रिपोर्टों की जांच होनी चाहिए। अब सवाल यह है कि क्या दिल्ली की भाजपा सरकार कांग्रेस की इस मांग पर कार्रवाई करेगी या नहीं?