संसद का विशेष सत्र

कुछ दिन पहले कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने का एजेंडा पूछा था। सरकार की ओर से दो दिन पहले विशेष सत्र बुलाने के कारण पर उठे सवालों का जवाब दे दिया गया। इसके बावजूद विपक्ष को सरकार की नीयत पर शक है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार की ओर से सत्र की कार्यसूची को लेकर कुछ छिपाया जा रहा है। गौरतलब है कि 17 सितंबर को सर्वदलीय औपचारिक बैठक है। 

18 सितंबर से संसद का विशेष सत्र आरंभ होगा। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी बुलेटिन में कहा गया है कि सत्र में कुल चार बिल पारित किए जाने हैं। इनमें मुख्य चुनाव आयुक्त तथा अन्य दो आयुक्तों की नियुक्ति और सेवा-शर्तों वाला बिल है। ध्यान रहे इस बिल को मानसून सत्र में लोकसभा में पेश किया गया था। इस संदर्भ में प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और संवैधानिक पीठ का सरकार पर दबाव था कि चुनाव आयुक्तों को चुनने की एक संवैधानिक प्रक्रिया होनी चाहिए।

सरकार अपनी मर्जी से किसी को भी चुनाव आयुक्त नहीं बना सकती। सर्वोच्च अदालत का सुझाव था कि प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रधान न्यायाधीश मिलकर चयन करें कि कौन चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्त किया जा सकता है।  सरकार ने इस फॉर्मूले को खारिज कर अपना ही पैनल बनाया है जिसमें प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री और नेता प्रतिपक्ष होंगे। अधिवक्ता संशोधन बिल और प्रेस एवं सावधि प्रकाशनों के पंजीकरण का संशोधन बिल मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पारित किए जा चुके हैं।

डाकघर संशोधन बिल भी मानसून सत्र में राज्यसभा में पेश किया जा चुका है। कहा जा रहा है कि ये बिल संसद के शीतकालीन सत्र में भी पारित किए जा सकते थे।  इन बिलों के संदर्भ में ऐसी कोई तात्कालिक संवैधानिक अड़चन दिखाई नहीं देती कि संसद का विशेष सत्र बुलाना पड़ा। संविधान में कहीं भी ‘विशेष सत्र’ शब्द का कोई जिक्र नहीं है लेकिन यह आमतौर पर अहम विधायी और राष्ट्रीय घटनाओं से जुड़ी स्थितियों में सरकार को राष्ट्रपति के आदेश से देश के सभी सांसदों को समन करने का अधिकार देता है। अभी तक इस देश में संसद के सात विशेष सत्र बुलाए जा चुके हैं। आजादी के 50 साल पूरे होने पर 15 अगस्त 1997 को संसद का विशेष सत्र बुलाया गया था। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह ऐसा विशेष संसद सत्र होगा जिसमें बेहद सामान्य मुद्दे और बिल पेश तथा पारित किए जाएंगे।

खबरें और भी हैं

Latest News

पूरे देश में हुए अध्ययन से यह साबित होता है कि चिलरन फुल, केवल 90 दिनों में बच्चों का तेज़ी से विकास करता है पूरे देश में हुए अध्ययन से यह साबित होता है कि चिलरन फुल, केवल 90 दिनों में बच्चों का तेज़ी से विकास करता है
नई दिल्ली, सितम्बर, 2025: पैनेशिया बायोटेक द्वारा किए गए एक व्यापक 90-दिवसीय राष्ट्रव्यापी पोस्ट-मार्केटिंग अवलोकन अध्ययन के परिणामों के अनुसार...
मऊ के फ़त्तहपुर सीएचसी पर अवैध वसूली के आरोप, पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने दी आंदोलन की चेतावनी
UP IPS Transfer: यूपी में 16 आईपीएस अधिकारियों का तबादला, 10 जिलों के कप्तान बदले
Varanasi News: पीड़ित दरोगा की पत्नी बोलीं- हमें न्याय चाहिए, अंतरात्मा को गहरी चोट लगी है
बहराइच में बड़ा हादसा: सरयू नदी में डूबने से तीन युवकों की मौत, गांव में मातम
Copyright (c) Parakh Khabar All Rights Reserved.