Bihar Election 2025: तेजस्वी, राहुल और खड़गे के बीच एक घंटे तक बैठक, सीट बंटवारे पर नहीं बनी सहमति – जानिए वजह

पटना/दिल्ली। बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। सभी प्रमुख दल चुनावी रणनीति बनाने में जुटे हैं, वहीं महागठबंधन के भीतर भी बातचीत का दौर शुरू हो गया है। इसी कड़ी में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद राहुल गांधी से मुलाकात की। इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर करीब एक घंटे तक मंथन चला, लेकिन कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई।

सीट बंटवारे पर अड़ गई कांग्रेस

सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस का तर्क है कि लोकसभा चुनाव में बिहार में पार्टी का प्रदर्शन पहले से बेहतर रहा है, ऐसे में उसे विधानसभा चुनाव में भी उसका उचित हिस्सा मिलना चाहिए। पार्टी का प्रस्ताव है कि हर लोकसभा सीट के बदले उसे 15 विधानसभा सीटें मिलें। इस हिसाब से चार लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने वाली कांग्रेस अब 60 विधानसभा सीटों की दावेदार है।

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राजद का फॉर्मूला: 12 सीट प्रति सांसद

वहीं, राजद का कहना है कि कांग्रेस की स्थिति बेहतर जरूर हुई है, लेकिन अभी भी जनता का व्यापक समर्थन राजद के पास ही है। ऐसे में कांग्रेस को अपनी मांगों में यथार्थ का ध्यान रखना चाहिए। राजद का फॉर्मूला है कि एक लोकसभा सीट पर कांग्रेस को 12 विधानसभा सीटें दी जाएं, यानी कुल 48 सीटें। राजद 1-2 सीटें अतिरिक्त देने को तैयार है, लेकिन 50 से अधिक सीटें देने को राजी नहीं है। उनका मानना है कि इससे महागठबंधन की चुनावी रणनीति प्रभावित हो सकती है।

17 अप्रैल को फिर होगी बैठक

हालांकि, बैठक में यह सहमति बनी कि साझा एजेंडे और चुनावी तैयारियों को लेकर दलों के बीच समन्वय जारी रहेगा। सीटों को लेकर अंतिम फैसला अभी लंबित है। अब 17 अप्रैल को फिर से बैठक होगी जिसमें सीट बंटवारे को लेकर किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।

कांग्रेस का दावा – हमारा जनाधार बढ़ा है

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बीते कुछ महीनों में पार्टी की गतिविधियां, कार्यक्रमों और नेताओं की सक्रियता ने युवा और अन्य वर्गों का विश्वास फिर से जीता है। ऐसे में 60 सीटों से कम पर चुनाव लड़ना पार्टी कार्यकर्ताओं के उत्साह को प्रभावित कर सकता है।

बिहार की राजनीति में अब सभी की नजरें 17 अप्रैल को होने वाली बैठक पर टिकी हैं, जहां तय होगा कि महागठबंधन आगामी विधानसभा चुनाव में किस फार्मूले के तहत उतरता है।

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