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Haldwani News: मास्टर माइंड के नक्शे कदम पर वांटेड बेटा, मुस्लिम इलाकों में बनाया सेफ हाउस

Haldwani: बनभूलपुरा हिंसा में पुलिस ने ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां की, लेकिन शहर छोड़कर फरार हो चुका मास्टर माइंड अब्दुल मलिक और उसका वांटेड बेटा पुलिस के हत्थे सबसे आखिर में चढ़े। वजह ये कि पहले अब्दुल मलिक और फिर बाप के ही नक्शे कदम पर चलते हुए वांटेड बेटे अब्दुल मोईद ने भी तंग गलियों वाले मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में अपना सेफ हाउस बनाया। इसके लिए दोनों बाप बेटों ने अपने रसूख, रसूखदार दोस्तों और कारोबारी रिश्तों को भुनाया।
सूत्रों की मानें तो मलिक के दिल्ली में व्यापक संबंध हैं। इन संबंधों में रसूखदार और व्यापारिक रिश्तों वाले लोग हैं। इन्हीं संबंधों के बूते दोनों दिल्ली में फरारी के आठ से 10 दिन काटे। सूत्र अगर सही हैं तो इन लोगों ने दिल्ली के बल्लीमारान, सीलमपुर, ओखला, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, मटिया महल, बाबरपुर, किराड़ी, त्रिलोकपुरी और सीमापुरी में सबसे अधिक वक्त गुजारा, लेकिन एक दिन से ज्यादा ये कहीं नहीं रुके।
मलिक की गिरफ्तारी के बाद मोईद ने भी इन्हीं इलाकों में अपने सेफ हाउस बनाया। बताया जाता है कि ये सभी मुस्लिम बाहुल्य इलाके हैं, जहां पुलिस थाने और चौकियां तो हैं, लेकिन पुलिस की इलाकों के भीतर तक पहुंच नहीं है। यही वजह है कि मलिक हिंसा के 18वें और मोईद को 21वें दिन गिरफ्तार किया जा सका। दोनों को मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से ही गिरफ्तार किया गया और वो भी लंबी रेकी के बाद।
मलिक और शोएब पर दर्ज है गंभीर धाराओं में मुकदमा
दोनों बाप-बेटे बनभूलपुरा थाने की ओर से दर्ज मामले में आरोपी हैं। आठ फरवरी को बनभूलपुरा में हुई हिंसा में अब्दुल मलिक और अब्दुल मोईद के खिलाफ बनभूलपुरा थाने में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 395, 323, 332, 341, 342, 353, 427 और 436 में मुकदमा दर्ज किया था। इसके साथ मलिक व मोईद पर उत्तराखंड लोक संपत्ति अधिकार अधिनियम, आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम और गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) में मुकदमा दर्ज है।
सर्विलांस नहीं, काम आया एसएसपी का इंटेलीजेंस
बनभूलपुरा में नजूल की भूमि से जब अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई तो पुलिस को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। हालत यह हुई तो रात के अंधेरे में जान बचाना मुश्किल हो गया और भागने के लिए गलियां तलाशनी मुश्किल हो गईं। बनभूलपुरा जैसे ही तंग मुस्लिम इलाकों में बाप-बेटों ने शरण ली थी। इन इलाकों में पुलिस के पहुंचने से पहले ही खबर पहुंच जाती थी। दोनों के मोबाइल घटना के दिन से बंद थे और ऐसे में सर्विलांस भी काम नहीं आ रहा था। तब एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने अपने विभागीय और निजी संबंधों का इस्तेमाल किया। बावजूद इसके उन्हें सिर्फ मलिक और मोईद की मौजूदगी की खबर मिली। हालांकि टीम दोनों को गिरफ्तार करने में कामयाब रही।
न मोबाइल इस्तेमाल किया, न एटीएम और न ही अपनी कार
फरारी के दौरान मोईद ने गिरफ्तारी से बचने के लिए सारे एहतियाद बरते, लेकिन फिर भी फंस गया। पुलिस की कहना है कि फरारी से पहले मोईद ने जिस कार का इस्तेमाल किया, वो उसकी नहीं थी। फरारी से पहले ही उसने न सिर्फ मोबाइल फोन का इस्तेमाल बंद किया, बल्कि पुलिस को लोकेशन न मिले तो उसने एटीएम कार्ड का भी उपयोग नहीं किया। उसने सिर्फ कैश खर्च किया और अगर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन भी किया तो अपने करीबियों के फोन से। फरारी के दौरान वह पुलिस से छिपा जरूर रहा, लेकिन उसकी अय्याशी में कोई फर्क नहीं पड़ा।