Varanasi News: महाशिवरात्रि पर नागा संतों की पेशवाई, काशी विश्वनाथ दरबार में किया भव्य दर्शन-पूजन

वाराणसी। महाशिवरात्रि पर्व पर बुधवार को विभिन्न अखाड़ों के नागा संतों ने पूरे शान-शौकत के साथ पेशवाई (शोभायात्रा) निकाली और काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के दरबार में मत्था टेका। शोभायात्रा में बाल और महिला नागा संतों, पीठाधीश्वरों, आचार्य महामंडलेश्वरों और महंतों की अगुवाई में लाखों श्रद्धालु पुष्पवर्षा कर श्रद्धा और आस्था व्यक्त करते रहे। हर-हर महादेव के गगनभेदी उद्घोष के साथ जब संत काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार पर पहुंचे, तो कमिश्नर कौशल राज शर्मा, पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल, जिलाधिकारी एस. राजलिंगम और मंदिर न्यास के सीईओ विश्वभूषण मिश्र ने उनका पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।

हनुमान घाट से निकली पेशवाई, नागा संतों का भव्य स्वागत

श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरि महाराज, निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि, आनंद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरि महाराज और काशी सुमेरुपीठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती के नेतृत्व में हनुमान घाट से निकली पेशवाई में सनातन संस्कृति की भव्य झलक दिखी।

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इससे पहले, जूना अखाड़े के संतों ने धार्मिक अनुष्ठान के बाद बाबा विश्वनाथ को खिचड़ी का भोग अर्पित किया। भस्म-भभूत से लेपे नागा संत भाले और निशान लेकर पेशवाई में शामिल हुए। इस शोभायात्रा में महिला संत, रथ, बग्घी, घोड़े और पारंपरिक शस्त्रों के साथ संतों के दल ने शिवभक्ति का अद्भुत नजारा पेश किया।

शस्त्रों का प्रदर्शन और श्रद्धालुओं की भक्ति

पेशवाई में शामिल नागा संतों ने गदा, तलवार, भाला आदि पारंपरिक शस्त्रों का कौशल प्रदर्शन किया। विशेष रूप से बाल नागा संतों का शस्त्र संचालन आकर्षण का केंद्र बना। इस दौरान विशाल डमरू बजाते हुए नागा संत और बैंडबाजे की धुन के साथ चलते भक्तों ने माहौल को शिवमय बना दिया।

दशाश्वमेध घाट से आवाहन अखाड़े के नागा संत भी गोदौलिया चौराहे पर जूना अखाड़े के दल में शामिल हुए। इसके बाद यह दिव्य शोभायात्रा धीरे-धीरे बाबा विश्वनाथ के दरबार की ओर बढ़ी।

144 साल बाद महाकुंभ के अंतिम अमृत स्नान और त्रिग्रही योग का पुण्य लाभ

मंदिर के गेट नंबर चार से प्रवेश कर महामंडलेश्वरों, श्रीमहंतों और महंतों ने शंखनाद और डमरू की निनाद के साथ शाही अंदाज में 144 साल बाद महाकुंभ के अंतिम अमृत स्नान और 60 वर्षों बाद त्रिग्रही योग में अपने आराध्य काशी विश्वनाथ का दर्शन-पूजन किया। इस शाही दल में सात प्रमुख अखाड़े शामिल रहे।

पूजन के बाद संतों ने मंदिर में धर्मध्वजा अर्पित की। महाशिवरात्रि पर्व पर नागा संतों के इस भव्य दर्शन-पूजन से काशी की आध्यात्मिक आभा और भी प्रखर हो उठी।

पूरी काशी शिवमय, अधिकारियों ने की व्यवस्थाओं की समीक्षा

महाशिवरात्रि पर नागा संतों के दर्शन-पूजन से पहले कमिश्नर कौशल राज शर्मा और पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र का निरीक्षण कर सुरक्षा और व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने श्रद्धालुओं से संवाद कर सहयोग की अपील की और मंदिर प्रबंधन को सुव्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए।

नागा संतों के दर्शन के लिए दिखी व्याकुलता

महाशिवरात्रि पर्व पर काशीपुराधिपति के दर्शन के लिए नागा संतों, महामंडलेश्वरों, श्री महंतों और महंतों में विशेष व्याकुलता दिखी। प्रयागराज महाकुंभ से लौटने के बाद संत इसी दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे।

काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन के बाद निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने बताया कि महाशिवरात्रि के अवसर पर सभी पांच अखाड़ों ने महादेव की आराधना की और महाकुंभ की 'पूर्णाहुति' के लिए विधि-विधान से 'अभिषेक' किया।

महाशिवरात्रि पर नागा संतों की ऐतिहासिक पेशवाई ने बढ़ाई काशी की आध्यात्मिक भव्यता

इस दिव्य अवसर पर श्रद्धालु और प्रशासनिक अधिकारी, सभी ने इस ऐतिहासिक पेशवाई का हिस्सा बनकर महादेव की भक्ति में स्वयं को समर्पित किया। काशी विश्वनाथ धाम में हर-हर महादेव के जयघोष से पूरी काशी शिवमय हो उठी।

Edited By: Parakh Khabar

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