संभल: नैमिषारण्य तीर्थ पर प्राचीन जल प्रवाहित कूप की खोज, 20 फीट नीचे बहता दिखा पानी

संभल: संभल में प्राचीन कूपों को पुनर्जीवित करने की प्रशासनिक मुहिम के बीच एक महत्वपूर्ण खोज हुई है। नैमिषारण्य तीर्थ परिसर में एक ऐसा प्राचीन कूप मिला है, जिसमें महज 20 फीट नीचे पानी बहता हुआ नजर आ रहा है। यह खोज इसलिए खास है क्योंकि अब तक मिले संभल के अन्य कूप सूखे हुए थे।

प्राचीन कूपों और तीर्थों का इतिहास

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, संभल में 19 प्राचीन कूप और 68 तीर्थों का वर्णन मिलता है। जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया के नेतृत्व में इन प्राचीन कूपों को खोजने और पुनर्जीवित करने का अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत कई कूपों की खुदाई और सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है। अब तक प्रशासन ने 22 प्राचीन कूपों की पहचान की है, लेकिन इनमें जल नहीं है।

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नैमिषारण्य तीर्थ पर कूप की खोज

धार्मिक ग्रंथों और बुजुर्गों के मार्गदर्शन के आधार पर, नैमिषारण्य तीर्थ के महंत बाल योगी दीनानाथ ने स्वयंसेवकों के साथ कूप की खोज शुरू की। मोटे पक्के फर्श को तोड़ने के बाद प्राचीन कूप प्रकट हुआ। चौंकाने वाली बात यह है कि जहां संभल में भूजल स्तर 100 फीट से अधिक गहरा है, वहीं इस कूप में मात्र 20 फीट की गहराई पर पानी मिला।

श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

जैसे ही जल प्रवाहित कूप की जानकारी फैली, श्रद्धालु नैमिषारण्य तीर्थ पहुंचने लगे। महंत बाल योगी दीनानाथ ने कूप पर पूजा-अर्चना कर प्रसाद वितरित किया। उन्होंने इसे बाबा क्षेमनाथ की कृपा बताया और कहा कि बाबा की प्रेरणा से ही उन्होंने खुदाई शुरू की, जिसके परिणामस्वरूप यह प्राचीन कूप प्रकट हुआ।

महंत दीनानाथ ने इस खोज की जानकारी जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया को दी है। इस खोज से धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखने वाले नैमिषारण्य तीर्थ का महत्व और बढ़ गया है। जिलाधिकारी ने इस कूप को संरक्षित करने और इसे धार्मिक दृष्टि से उपयोगी बनाने के लिए आगे की योजना तैयार करने का आश्वासन दिया है।

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