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Mahakumbh Stampede: प्रयागराज में भगदड़ का दर्दनाक हादसा, कुंभ के वो दो हादसे जो कभी भुलाए नहीं जा सकते

महाकुंभनगर। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान मंगलवार की रात एक बड़ा हादसा हो गया। रात करीब 2 बजे संगम में स्नान के दौरान भगदड़ मचने से 10 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। घायलों का इलाज महाकुंभ नगर के केंद्रीय अस्पताल में किया जा रहा है। हालांकि, मेला प्रशासन ने अब तक मृतकों की संख्या की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
श्रद्धालुओं का सैलाब और सुरक्षा चुनौतियां
प्रयागराज कुंभ के वो दो हादसे जो अब भी दिलों में दर्द बनकर बसे हैं
प्रयागराज में माघ मेले और कुंभ के दौरान लाखों-करोड़ों श्रद्धालु एकत्र होते हैं, लेकिन आमतौर पर कोई बड़ा हादसा नहीं होता, इसे गंगा मैया और भगवान की कृपा माना जाता है। लेकिन इतिहास में दो बड़े हादसे ऐसे हुए, जो कभी नहीं भुलाए जा सकते।
1954: स्वतंत्र भारत का पहला कुंभ और सबसे दर्दनाक हादसा
1954 में स्वतंत्र भारत में पहला कुंभ मेला आयोजित हुआ था। 3 फरवरी, मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी बांध पर भयानक भगदड़ मच गई। इस हादसे में करीब 800 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 2,000 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
- तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू कुंभ मेले में मौजूद थे।
- एक हाथी बेकाबू हो गया, जिससे अफरातफरी और भगदड़ मच गई।
- घटना के बाद शासन-प्रशासन ने इसे छिपाने की कोशिश की, लेकिन प्रेस फोटोग्राफर एन.एन. मुखर्जी ने हादसे की तस्वीरें लेकर इसे दुनिया के सामने ला दिया।
- हादसे के बाद पं. नेहरू ने न्यायमूर्ति कमलाकांत वर्मा की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की।
- प्रशासन ने नेताओं और विशिष्ट व्यक्तियों से स्नान पर्वों पर कुंभ न जाने की अपील की, ताकि भीड़ पर नियंत्रण रखा जा सके।
2013: रेलवे स्टेशन पर भगदड़, 36 की मौत
कुंभ मेले के दौरान 10 फरवरी 2013 को मौनी अमावस्या के स्नान के बाद श्रद्धालु अपने घर लौट रहे थे। प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर भी भारी भीड़ थी। शाम 7 बजे, प्लेटफार्म 6 की ओर जाने वाले फुट ओवरब्रिज पर अचानक भगदड़ मच गई।
- प्रशासन ने अनाउंसमेंट किया कि ट्रेन दूसरे प्लेटफॉर्म से रवाना होने वाली है।
- श्रद्धालु तेजी से फुट ओवरब्रिज से दूसरे प्लेटफॉर्म की ओर दौड़ पड़े।
- ब्रिज पर अत्यधिक भार पड़ने से पुल गिर गया, जिससे कई लोग नीचे आ गिरे और कई भीड़ के नीचे दब गए।
- हादसे में 36 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 50 से अधिक गंभीर रूप से घायल हो गए।
- मरने वालों में उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के लोग शामिल थे।
इस हादसे के बाद रेलवे ने भीड़ नियंत्रण के लिए सख्त उपाय अपनाए और मेले के दौरान स्टेशन पर विशेष प्रबंधन की व्यवस्था की गई।
2025 महाकुंभ में भीड़ प्रबंधन की कड़ी परीक्षा
इस बार के महाकुंभ में 144 वर्षों बाद विशेष योग बन रहा है, जिससे श्रद्धालुओं की संख्या ऐतिहासिक रूप से अधिक है। प्रशासन को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों।