लोकबंधु अस्पताल में आग का असर: ओपीडी सीमित, 12 ऑपरेशन टाले गए, भर्ती बंद, मरीजों की भारी परेशानी

लखनऊ: आशियाना स्थित लोकबंधु राजनारायण संयुक्त अस्पताल में सोमवार रात लगी आग के बाद से अस्पताल की व्यवस्थाएं पूरी तरह चरमरा गई हैं। मंगलवार को कुछ ओपीडी सेवाएं सीमित रूप से बहाल की गईं, लेकिन अस्पताल में भर्ती और ऑपरेशन जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं पूरी तरह ठप रहीं। 12 ऑपरेशन टालने पड़े, और भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है।

ओपीडी में मरीजों की भीड़, पर सुविधाएं सीमित

मंगलवार को अस्पताल के भूतल पर हड्डी, मेडिसिन, सर्जरी विभाग की ओपीडी जैसे-तैसे संचालित की गई, जहां करीब 1400 मरीज देखे गए। लेकिन पहली मंजिल की ओपीडी, जिसमें नेत्र रोग, ईएनटी, वैक्सीनेशन विभाग आते हैं, बंद रही। इन विभागों के मरीजों को इलाज के बिना लौटना पड़ा।

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इमरजेंसी पर दबाव, ज्यादातर मरीज रेफर

अस्पताल की इमरजेंसी सेवा भी प्रभावित रही। कुल 70 मरीज पहुंचे, जिनमें से केवल तीन को भर्ती किया गया। 67 मरीजों को प्राथमिक इलाज देकर अन्य अस्पतालों में रेफर किया गया। इमरजेंसी में 35 बेड आरक्षित किए गए हैं, लेकिन अधिकतर पैथोलॉजी और रेडियोलॉजी जांचें ठप हैं। मरीजों को फिलहाल तीन दिन की दवा देने के निर्देश दिए गए हैं।

महिला एवं प्रसूति वार्ड पूरी तरह बंद

आग लगने से महिला और प्रसूति विभाग समेत कई वार्ड पूरी तरह प्रभावित हुए हैं। इन वार्डों के फर्नीचर, उपकरण और ओटी को नुकसान पहुंचा है। मरीजों को अब दूसरे अस्पतालों में रेफर किया जा रहा है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि सेवाएं सामान्य होने में एक सप्ताह का समय लग सकता है।

फॉल्स सीलिंग से तेजी से फैली आग

आग आईसीयू से शुरू हुई और फॉल्स सीलिंग के चलते तेजी से फैल गई। बिजली की आपूर्ति रुकने और धुएं से मरीजों की स्थिति और बिगड़ गई। कई वार्डों में अभी भी पानी, जला हुआ मलबा और गंदगी फैली हुई है।

मरीजों के दस्तावेज और लैब सैंपल सुरक्षित

डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि मरीजों से संबंधित दस्तावेज और लैब के नमूने सुरक्षित हैं। आग से पहले एक बुजुर्ग की मौत को लेकर सवाल उठे, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने दावा किया कि उनकी मृत्यु आग लगने से पहले ही हो चुकी थी।

इमरजेंसी में संघर्ष: अपनों को बचाने में लगे तीमारदार

घटना के वक्त कई मरीजों को गोद में उठाकर बाहर लाया गया। सीतापुर रोड निवासी शिवम ने ऑक्सीजन सपोर्ट पर चल रही अपनी बहन पलक को कंधे पर उठाकर बाहर निकाला। वहीं उन्नाव निवासी विपिन ने अपनी मां मंजू मिश्रा को आग के बीच गोद में उठाकर बाहर पहुंचाया।

57 मरीजों को अन्य अस्पतालों में शिफ्ट

अग्निकांड के वक्त अस्पताल में करीब 225 मरीज भर्ती थे, जिनमें नवजात और गर्भवती महिलाएं भी थीं। इनमें से 57 मरीजों को सिविल, बलरामपुर, केजीएमयू, डफरिन और लोहिया अस्पताल में शिफ्ट किया गया। शेष मरीजों को घर भेज दिया गया या निजी अस्पतालों में इलाज के लिए चले गए।

नवजातों और गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया

डफरिन और लोहिया अस्पतालों में नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं को शिफ्ट किया गया है। डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की निगरानी में सभी मरीजों की स्थिति फिलहाल स्थिर बनी हुई है।

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