- Hindi News
- उत्तर प्रदेश
- लखनऊ
- “बुंदेलखंड 24x7 के प्रसिद्ध लोकगीत मंच 'बुंदेली बावरा' के सेमीफइनल में पहुँचे 34 प्रतिभागी”
“बुंदेलखंड 24x7 के प्रसिद्ध लोकगीत मंच 'बुंदेली बावरा' के सेमीफइनल में पहुँचे 34 प्रतिभागी”
11 जनवरी को छतरपुर में होगा सेमीफइनल व ग्रैंड फिनाले
लखनऊ,दिसंबर 2025: बुंदेलखंड 24x7 के लोकप्रिय लोकगीत मंच ‘बुंदेली बावरा’ के ऑडिशन राउंड का सफल समापन हो गया है। बुंदेली लोकसंगीत के महान साधक बैजू बावरा जी की स्मृति में आयोजित बुंदेलखंड की पहली और एकमात्र बुंदेली लोकगीत आधारित इस प्रतियोगिता में पहले चरण में रिकॉर्ड 2735 प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं, जिनमें से कड़े चयन के बाद 34 प्रतिभागियों ने सेमीफाइनल में जगह बनाई है। यूपी और एमपी में फैले बुंदेलखंड के अलग-अलग कोनों से आए इन प्रतिभागियों का चयन झाँसी, हमीरपुर, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ और सागर में आयोजित ऑडिशनों के माध्यम से किया गया। निर्णायक मंडल में प्रसिद्ध यूट्यूबर अंकित पांडे, बुंदेली लोकगायक जयप्रकाश पठैरिया और चैनल डायरेक्टर रोहित सिंह चंदेल शामिल रहे। ऑडिशन राउंड के बाद अब सभी की निगाहें आगामी सेमीफाइनल और फिनाले पर टिकी हैं, जो 11 जनवरी को छतरपुर के आंबेडकर भवन ऑडिटोरियम में आयजित होगा।
छतरपुर ऑडिशन में उपस्थित जयप्रकाश पठैरिया ने कहा, "बुंदेली लोकगीतों का अपनापन अद्वितीय है। 'बुंदेली बावरा' जैसे मंच नए कलाकारों को आगे लाने के लिए बेहद जरूरी हैं।"
सागर में हुए ऑडिशन के दौरान निर्णायक के रूप में मौजूद अंकित पांडे ने कहा, "बुंदेली बावरा सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि बुंदेलखंड की लोकआत्मा को मंच देने का प्रयास है। यहाँ सुनाई देने वाले सुरों में मिट्टी की सादगी और सच्चाई साफ झलकती है।"
पूरे ऑडिशन चरण में सभी जिलों में निर्णायक की भूमिका में रहे रोहित सिंह चंदेल ने कहा, "हर जिले के सुरों की अपनी अलग पहचान है। यह मंच लोकगीतों को संरक्षित करने के साथ-साथ नई पीढ़ी से जोड़ने का सशक्त माध्यम बन रहा है।"
प्रतियोगिता को लेकर बुंदेलखंड 24x7 के चैनल हेड आसिफ पटेल ने कहा, "हमारा उद्देश्य सिर्फ एक शो बनाना नहीं, बल्कि बुंदेलखंड के लोककलाकारों को सम्मान और पहचान देना है। ऑडिशन में मिले सुरों ने साबित किया है कि हमारी लोकसंस्कृति आज भी जीवंत बनी हुई है।"
गौरतलब है कि बुंदेलखंड 24x7 बीते वर्षों में सिर्फ एक विश्वसनीय डिजिटल न्यूज़ प्लेटफार्म के रूप में नहीं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक आवाज़ के रूप में स्थापित हुआ है। बुंदेली बावरा उसी सोच का विस्तार है, जहाँ लोकसंगीत के माध्यम से बुंदेलखंड की पहचान को नई मजबूती दी जा रही है। अब सेमीफाइनल में चयनित 34 प्रतिभागी अपने सुरों से यह साबित करने उतरेंगे कि बुंदेली लोकगीत न सिर्फ अतीत हैं, बल्कि भविष्य की भी मजबूत धरोहर हैं।
