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Bareilly: लेखपाल की हत्या में चौंकाने वाले खुलासे, दो पत्नियों का खर्च और कार की किस्तें बनी वजह

बरेली। लेखपाल मनीष चंद्र कश्यप की हत्या के मामले में पुलिस जांच में कई चौंकाने वाले राज सामने आए हैं। मुख्य आरोपी अवधेश उर्फ ओमवीर के आर्थिक तंगी और दो पत्नियों के खर्च ने उसे इस अपराध की ओर धकेला। इसके अलावा, कार की बकाया किस्तें और पहले के कानूनी मामलों में हुए खर्च ने स्थिति और गंभीर बना दी।
कैसे खुला केस?
अपहरण से हत्या तक की साजिश
अवधेश ने अपने रिश्तेदार सूरज, नेत्रपाल और नन्हे के साथ मिलकर मनीष का अपहरण किया। योजना फिरौती वसूलने की थी। सूरज ने शराब खरीदी और नशे की हालत में मनीष को कार की पिछली सीट पर बैठा दिया गया। डर के कारण नेत्रपाल ने मनीष को बंधक बनाने से इनकार कर दिया। इसके बाद नन्हे ने सुझाव दिया कि मनीष को जिंदा छोड़ना सुरक्षित नहीं है।
गला घोंटकर की हत्या
सूरज ने अपने मफलर से मनीष का गला घोंट दिया। शव को बदायूं रोड पर फेंकने की कोशिश की गई, लेकिन मौका न मिलने पर मिर्जापुर गांव के तालाब किनारे फेंक दिया गया। शव से दस्तावेज और मोबाइल निकाल लिए गए।
पुलिस की लापरवाही
मनीष के लापता होने के बाद उनकी पत्नी ने 28 नवंबर को फरीदपुर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने सक्रियता नहीं दिखाई। बाद में एसएसपी के निर्देश पर अपहरण का मामला दर्ज किया गया।
पैसों की तंगी बनी अपराध की वजह
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अवधेश ने बताया कि उसकी दो पत्नियां हैं—एक गांव में और दूसरी नोएडा में। दोनों का खर्च उठाना उसके लिए मुश्किल हो रहा था। कार की तीन किस्तें बकाया थीं और मई 2024 में दर्ज जानलेवा हमले के केस में जमानत के लिए 45 हजार रुपये खर्च हो चुके थे। आर्थिक तंगी से परेशान होकर उसने अपने रिश्तेदारों के साथ यह योजना बनाई।
फिरौती की योजना
अवधेश ने सोचा था कि मामला शांत होने पर वह मनीष के परिवार से चार लाख रुपये फिरौती मांगेगा। फिरौती लेने के लिए उसने ट्रेन के जरिए रकम फेंकने की योजना भी बना रखी थी।
जिन्न से पूछने का अजीबोगरीब किस्सा
अवधेश और नन्हे के बीच फोन पर हुई बातचीत में यह भी सामने आया कि नन्हे झाड़फूंक करता है। अवधेश ने मनीष का मोबाइल रिचार्ज कराने की बात कही तो नन्हे ने जिन्न से पूछने की बात की। जिन्न की "सलाह" थी कि अभी कोई हरकत न करें, वरना फंस जाएंगे।
शव देखने गए थे चार बार
हत्या के बाद आरोपी कई बार रात के अंधेरे में शव को देखने तालाब किनारे गए ताकि कोई सुराग न मिले।
पुलिस कार्रवाई जारी
मुख्य आरोपी अवधेश और नन्हे की गिरफ्तारी के बाद पुलिस अब सूरज और नेत्रपाल की तलाश में दबिश दे रही है।
परिवार का आरोप
मनीष के परिजनों का आरोप है कि पुलिस और प्रशासन की लापरवाही के चलते केस देर से खुला। अगर समय रहते कॉल डिटेल जांची जाती, तो मनीष की जान बच सकती थी।
इस मामले से यह साफ है कि आर्थिक तंगी और कर्ज के दबाव ने अपराध को जन्म दिया, लेकिन पुलिस की लापरवाही ने हालात को और बदतर बना दिया।