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बरेली: विवाहिता की हत्या मामले में जेठ और देवर को 7 साल की सजा, 25-25 हजार रुपये जुर्माना

बरेली। विवाहिता ममता की दहेज के लिए हत्या करने के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश अभय श्रीवास्तव ने गुरुवार को अतरछेड़ी (बिशारतगंज) निवासी ममता के जेठ अरुण कुमार और देवर मुदित सिंह को दोषी करार दिया। दोनों को सात साल के कारावास और 25-25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई।
संजय और उसके परिवार ने कलर टीवी और बाइक की मांग पूरी होने से पहले ममता की पहली विदाई करने से इनकार कर दिया। मजबूरन, विजयपाल ने 25 हजार रुपये और अन्य सामान देकर बेटी को विदा किया।
ममता ने अपनी मां को बताया कि उसका पति और ससुराल वाले उसे मारते-पीटते हैं और कभी-कभी उसे करंट तक लगाते हैं। 8 सितंबर 2000 को ममता ने मायके में बेटे को जन्म दिया।
बाद में, 28 मार्च 2001 को संजय और उसके परिवार ने भरोसा दिलाया कि वे ममता के साथ अच्छा व्यवहार करेंगे। इस पर, 29 मार्च 2001 को ममता को ससुराल भेज दिया गया।
17 जून 2001 को ममता का भाई जब हालचाल लेने ससुराल पहुंचा तो मकान पर ताला लगा मिला। पूछताछ करने पर पता चला कि 13 जून 2001 को ममता की हत्या कर दी गई और लाश गायब कर दी गई।
पुलिस ने उत्पीड़न, दहेज हत्या और आपराधिक षड्यंत्र के आरोपों में रिपोर्ट दर्ज की। बाद में सीबीसीआईडी ने मामले की जांच कर पति संजय सिंह, ससुर तिलक सिंह, सास श्यामा, जेठ अरुण और देवर मुदित के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया।
मामले में 10 गवाह पेश किए गए। कोर्ट ने जेठ अरुण कुमार और देवर मुदित सिंह को दोषी पाते हुए सात साल की सजा और जुर्माने का आदेश दिया। ससुर तिलक सिंह और सास श्यामा की मृत्यु के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई समाप्त कर दी गई।
ममता का देवर और अभियुक्त मुदित प्रताप सिंह छात्र नेता था। उसने 2021 में अपने बड़े भाई संजय सिंह की कार से कुचलकर हत्या कर दी थी। इस हत्या में तीन अन्य लोग भी शामिल थे।